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वीर बाल दिवस पर साहिबजादो के बलिदान को किया गया याद

भोलापाठक/नीलकमल की रिपोर्ट

बच्चों को बताई गई साहिबजादो की गाथा, कैसे हंसते हंसते स्वधर्म और वतन के लिए दे दिया बलिदान।

ईंटों (जालौन)-
26 दिसंबर सन 1704 का वह दिन जब गुरु गोबिंद सिंह के छोटे दो साहिबजादो ने अपने स्वधर्म और वतन के लिए हंसते हंसते बलिदान दे दिया था। क्रूर शासकों की शर्त न मानने पर छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को जिंदा दीवारों में चिनवा दिया गया था। इस दिन को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
ईटों मण्डल के मां नारायणी यूनिवर्सल एजुकेशन एकेडमी ईंटो में आज वीर बाल दिवस पर गुरु गोविन्द सिंह जी के पुत्रों के बलिदान को याद करते हुए कार्यक्रम संपन्न हुआ, उपस्थित छात्र छात्राओं को वीर साहबजादों की गाथा बताई गई कि कैसे उन्होंने हंसते हंसते बलिदान दे दिया था। विदित हो कि 21 दिसंबर से 28 दिसंबर के बीच गुरु गोबिंद सिंह जी सहित उनके भाई और सभी साहिबजादो और उनकी माता ने स्वधर्म व वतन के लिए अपना बलिदान दे दिया था। इतिहास के पन्नों में गुरु गोबिंद सिंह जी का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। गुरु गोबिंद सिंह एवं साहिबजादो की गाथाएं आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है। इस मौके पर एकेडमी स्टाफ से नीलकमल पंकज तिवारी निरंजन सिंह राहुल दीपक मयंक शनि गौरव दीक्षित रामू बीपी सहित सैकड़ों छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

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