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गणपतसिंह हत्याकांड के खुलासे की एक माह की डेडलाइन समाप्त, परिजन फिर आंदोलन की तैयारी में

आकोली/जालोर (दलपतसिंह भायल)

आकोली क्षेत्र के निकटवर्ती मांडोली गांव में हुए गणपतसिंह हत्याकांड के खुलासे को लेकर प्रशासन द्वारा दी गई एक माह की डेडलाइन समाप्त हो चुकी है, लेकिन अब तक मामले का कोई खुलासा नहीं होने से मृतक का परिवार गहरे आक्रोश और निराशा में है।

हत्याकांड के खुलासे की मांग को लेकर गणपतसिंह की 80 वर्षीय वृद्ध मां हवा कंवर जिला मुख्यालय जालोर पर लगातार 8 दिनों तक कड़ाके की ठंड में भूख हड़ताल पर बैठी रहीं। इस दौरान प्रशासन द्वारा कई बार उन्हें भूख हड़ताल समाप्त करने का आग्रह किया गया, लेकिन वे अपने निर्णय पर अडिग रहीं।
9वें दिन 25 नवंबर को जालोर-सिरोही सांसद लुंबाराम चौधरी, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रविंद्र सिंह बालावत, दीपसिंह धनानी, मंगलसिंह सिराना, कांग्रेस नेता ऊमसिंह चांदराई सहित विभिन्न समाजों के दर्जनों नेताओं ने हस्तक्षेप करते हुए भरोसा दिलाया कि यदि 25 दिसंबर तक हत्याकांड का खुलासा नहीं होता है, तो 26 दिसंबर से पुनः धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। नेताओं के आश्वासन पर हवा कंवर ने जूस पीकर अपनी भूख हड़ताल एक माह के लिए स्थगित की थी।

अब जब एक माह की समय-सीमा समाप्त हो चुकी है और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या खुलासा सामने नहीं आया है, तो परिजन स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वृद्ध मां हवा कंवर ने भावुक होकर कहा कि “मैं उस दिन भूख हड़ताल से उठना ही नहीं चाहती थी, लेकिन सभी के आग्रह पर मान गई। आज पूछती हूं कि हमें क्या मिला? मैं बहुत दुखी हूं। जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक तन-मन से काम नहीं कर रहे हैं। उन्हें सब कुछ पता होने के बावजूद वे खुलासा नहीं कर रहे हैं, इसलिए उन्हें हटाया जाना चाहिए।”

उन्होंने समाज से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि उनका परिवार शीघ्र ही पुनः भूख हड़ताल पर बैठेगा और इस बार बिना न्याय मिले घर नहीं लौटेगा।

मृतक गणपतसिंह के भाई अभयसिंह ने बताया कि वे वर्तमान में पुणे में हैं और जल्द ही जालोर पहुंचकर कलेक्ट्रेट पर भूख हड़ताल में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि “आज के लोकतंत्र में हत्याकांड के खुलासे के लिए तीन-तीन बार धरना देना पड़ रहा है, फिर भी न्याय नहीं मिल रहा। सरकार के मंत्री और सांसद केवल आश्वासन देकर आंदोलन खत्म कराते हैं, जो न्याय व्यवस्था पर कलंक है।
एक साल बीत जाने के बावजूद हत्यारे गिरफ्तार नहीं होना सरकार की भारी विफलता को दर्शाता है।”

परिजनों की चेतावनी के बाद अब जिला प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं और आने वाले दिनों में यह मामला फिर से उग्र आंदोलन का रूप ले सकता है।

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