
भरोसा ही नहीं हो रहा है यह मेरा अपना ही देश है, जो कभी शांति और समन्वय का प्रतीक होता था।
तुम दूसरे धर्म की सम्मान नहीं करोगे तो ये उम्मीद कैसे रख सकते हो कि सामने वाला तुम्हारे धर्म का सम्मान करे।
भरोसा ही नहीं हो रहा है यह मेरा अपना ही देश है, जो कभी शांति और समन्वय का प्रतीक होता था। इतनी भाषएँ इतने धर्म सब मिलजुल कर रहते थे। यह क्या पगलापा सवार हो गया हम लोगों पर कि अन्य धर्मो का अपमान करने लगे। कई जगह सांता क्लॉस का पुतला जलाया गया। किसी को यदि कोई त्योहार नहीं मनाना है तो ना मनाए, लेकिन पुतले क्यों जलाएं?ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध,सिख सबको पराया बनाकर छोड़ दिया है। इन हरकतों से किसको लाभ होगा? राजनीतिज्ञों को हो तो हो जनता को तो नहीं होगा। देश किरच किरच होकर बिखरेगा तो भुगतना जनता को ही है फिर भले वह हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई कोई भी हो। मगर आजकल मित्रों परिचितों आदि से बातचीत में भी यह महसूस होता है कि अपने धर्म को लेकर दंभ और दूसरे के धर्म को लेकर उग्रता घर-घर में विकसित हो चुकी है। बात करना मुश्किल हो गया है। और तो और दूसरे धर्म के प्रति द्वेष संस्थागत भी हो गया है। क्रिसमस की छुट्टी कैंसिल! अब क्या कहें?
क्रिसमस पर तुम सैंटा पर लाठी बरसाते हो। फिर उम्मीद करते हो कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में तुम्हारे मंदिर न तोड़े जाएं। तुम भी तो यहां वही कर रहे हो।
तुम्हें क्या ये दुनिया अपनी जागीर लगती है कि तुम जुम्मे पर मस्जिद के ऊपर चढ़ जाओगे और मस्जिद में हनुमान चालीसा गाओगे, क्रिसमस पर चर्च में घुसकर हनुमान चालीसा पढ़ोगे और सैंटा पर लाठी बरसाओगे, फिर उम्मीद करते हो कि तुम्हारे साथ दुनिया में कोई ऐसा न करे। और अगर कोई कर देता है तो हिंदू खतरे में आ जाता है।
कल्पना करो कि आज जो तुम सैंटा पर लाठी बरसा रहे हो, कल पश्चिमी देशों में जब तुम गणपति और माता की प्रतिमा विराजित करो और वहां के लोग उन पर लाठियां बरसाने लगें फिर? आज तुम चर्च में घुसकर हनुमान चालीसा पढ़ रहे हो, कल वहां के लोग मंदिरों में घुसकर प्रेयर करें और शैम्पेन खोलें फिर?
तुम विदेशों में नदी किनारे जाकर छठ मनाने लगते हो, यहां सड़कों पर भी क्रिसमस को तैयारी नहीं करने दे रहे। वो तुम्हारी छठ पूजा पर तुममें लाठी भांजे तो तुम इंडिया में चिल्लाओगे की विदेशों में हिंदू भाइयों को धर्म के नाम पर निशाना बनाया जा रहा है।
तुम सैंटा में लाठी भांज रहे हो तो ठीक, लेकिन जब वो गलती से भी तुम्हारे देवी-देवताओं के प्रिंट वाले चप्पल और कच्छे बना देते हैं तो तिलमिला जाते हो।
अरे भाई, जब तुम उनके ईश्वर का सम्मान नहीं करते तो उनसे क्यों उम्मीद करते हो? वो तो गलती से ऐसा कर लेते हैं और माफ़ी भी मांग लेते हैं। तुम तो जानबूझकर कर रहे हो और कभी माफ़ी नहीं मांगोगे।
बांग्लादेश में हिंदू भाई को जला डाला, वो इंसानियत नहीं थी। लेकिन तुम भी अलग नहीं हो। मौक़ा मिलने पर तुम भी यही करोगे। और तुमने किया भी है। कई लोगों की मॉब लिंचिंग की है।
फिर कहते हो कि #हिंदू को कट्टर मत बोलो। आज जो तुम कहते हो न कि इस्लाम दहशतगर्दों का धर्म है। तुम भी उसी राह पर हो। तुम्हारी ऐसी करतूतें रहीं तो आने वाले कुछ सालों में मुसलमान के साथ-साथ दुनिया में हिंदू भी शक की निगाह से देखा जाएगा।
ये लोग हिंदू और सनातन का भला नहीं कर रहे हैं। इन जैसे कट्टरपंथी तो सनातन के नाम पर एक काला धब्बा हैं।
मैं तो कहता हूं कि दुनिया में जब भी कहीं हिंदू के ऊपर अत्याचार हो तो सबसे पहले हिंदुत्व के इन कथित रक्षकों को ढूंढ़-ढूंढ़ कर जनता कूटा करे। इन जैसों की ही करनी हिंदुओं को दूसरे मुल्कों में भुगतनी पड़ती है।