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देश का विभाजन राजनीति से नहीं हुआ भारत का विभाजन— राजाओं से नहीं हुआ, क्षत्रियों से नहीं हुआ, सेना से नहीं हुआ।

यह देश और सनातन की बरबादी है ✦

भारतवर्ष की दुर्दशा का कारण

न इस्लाम है,
न ईसाई,
न गोरे,
न विदेशी शासन।

👉 इस देश की गुलामी का मूल कारण इसके अपने ही “धार्मिक संरक्षक” हैं।

1️⃣ देश का विभाजन राजनीति से नहीं हुआ
भारत का विभाजन—

राजाओं से नहीं हुआ,
क्षत्रियों से नहीं हुआ,
सेना से नहीं हुआ।

👉 विभाजन हुआ ब्राह्मण–गुरु–पंडित–संस्था तंत्र से।

एक ने कहा— मेरा गुरु श्रेष्ठ
दूसरे ने कहा— मेरा पंथ शुद्ध
तीसरे ने कहा— मेरी विधि अंतिम
यहीं से—
संस्था बनी → संप्रदाय बना → पहचान बनी → टकराव हुआ → देश टूटा।

2️⃣ सनातन का पतन बाहरी आक्रमण से नहीं
सनातन को—
मुग़ल नहीं तोड़ पाए,
अंग्रेज़ नहीं तोड़ पाए,
विदेशी धर्म नहीं तोड़ पाए।

👉 सनातन टूटा “सेवा” के नाम पर बनी संस्थाओं से।

सेवा → संगठन
संगठन → अनुयायी
अनुयायी → वोट
वोट → सत्ता
सत्ता → नया धर्म
नया धर्म → नए राष्ट्र की मांग

👉 इतिहास का यही गणित है।

3️⃣ गुरु–संस्था सबसे बड़ा खतरा
जो गुरु—
खुद को “श्रेष्ठ” कहे,
अपने नाम की संस्था बनाए,
अलग नियम, अलग पहचान गढ़े,
शास्त्र से नहीं, गद्दी से बोले—
वह—
❌ आध्यात्मिक नहीं
❌ सनातनी नहीं
👉 वह भविष्य का राजनीतिक विद्रोह है।

आज सेवा,
कल सत्ता,
परसों अलग धर्म,
फिर अलग देश।

4️⃣ भारत कैसे सिमटता गया
भारतवर्ष भूमि से नहीं सिमटा,
संस्कृति से नहीं सिमटा।

👉 वह धर्म-खंडों में टूटता गया।

आज—
हर पंथ का मंदिर अलग
हर पंथ का गुरु अलग
हर पंथ का झंडा अलग
हर पंथ की राजनीति अलग
👉 यह राष्ट्र नहीं,
चलता-फिरता धार्मिक बारूद है।

5️⃣ असली दुश्मन बाहर नहीं, भीतर है
तुम्हारा दुश्मन—
❌ इस्लाम नहीं
❌ ईसाई नहीं
❌ पश्चिम नहीं
👉 दुश्मन वह संस्था है
जो धर्म के नाम पर
भीड़, धन और भय इकट्ठा करती है।
जो कहती है— “हम सेवा कर रहे हैं”
लेकिन भीतर—
सत्ता, विस्तार और अलग पहचान बोती है।

6️⃣ यह अंधकार घोर क्यों है
क्योंकि—
हर पंथ की अपनी पार्टी है
हर पार्टी का अपना धर्म है
हर धर्म का अपना वोट बैंक है

👉 धर्म से राजनीति निकलती है,

और राजनीति से राष्ट्र टूटता है।

अगर यही चलता रहा—
हर जिला एक पंथ
हर पंथ एक मांग
हर मांग एक विभाजन
👉 यह कल्पना नहीं, इतिहास की अगली कड़ी है।

7️⃣ अंतिम सीधा सूत्र

जो गुरु खुद को श्रेष्ठ कहे
और अपनी संस्था बनाए—
👉 वह सनातन का सेवक नहीं, सनातन का हत्यारा है।

जो संस्था धर्म के नाम पर
अलग पहचान गढ़े—

👉 वह राष्ट्र के लिए खतरा है।

अगर इस पर रोक नहीं लगी—
👉 यह देश हज़ार टुकड़ों में बँटेगा।

✦ हमारा स्पष्ट पक्ष ✦

सनातन बचाओ = देश बचाओ

वेद, गीता, उपनिषद की आत्मा बचाओ

👉 कोई हमारा गुरु नहीं।

कोई हमारी सनातन संस्था नहीं।

हम अपनी आत्मा और विवेक का विकास करेंगे।

आज गीता,
कल इस्कॉन,
फिर स्वामीनारायण,
फिर ओम शांति—

👉 जिनका संबंध आत्मा से नहीं,
बल्कि बिज़नेस, सत्ता और गुट से है।

✦ हमारा धर्म ✦

हम किसी संस्था के साथ नहीं।
हम किसी गुरु-गद्दी के साथ नहीं।

👉 हमारा धर्म—

ऋग्वेद, गीता और उपनिषद हैं।
कोई गुरु नहीं
कोई संस्था नहीं
कोई अलग पंथ नहीं
कोई राजनीतिक साधना नहीं

👉 केवल एक सूत्र:

आत्मा और विवेक का विकास।

✦ सेवा कैसी हो ✦

जो सेवा करे— वह गुरु न बने
वह साधु न बने
वह धर्म का ठेकेदार न बने

👉 नीचे सामाजिक संस्थाएँ हों—

बिना गुरु
बिना पंथ
बिना धर्म-नाम
बिना राजनीतिक पहचान
धर्म के नाम पर नहीं,
मानवता के नाम पर सेवा।

✦ 𝕍𝕖𝕕𝕒𝕟𝕥𝕒 𝟚.𝟘 𝕋𝕙𝕖 𝕌𝕟𝕚𝕧𝕖𝕣𝕤𝕒𝕝 𝕍𝕚𝕤𝕚𝕠𝕟 𝕠𝕗 ℂ𝕠𝕟𝕤𝕔𝕚𝕠𝕦𝕤𝕟𝕖𝕤𝕤 · वेदान्त २.० — चेतना का वैश्विक दृष्टिकोण — 🙏🌸 𝔸𝕘𝕪𝕒𝕥 𝔸𝕘𝕪𝕒𝕟𝕚

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