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डॉक्टर स्टाफ नदारद, मरीज बेहाल जालौन ब्लॉक के सरकारी अस्पतालों में इलाज ठप

शानू

उरई (जालौन)।
जालौन ब्लॉक के कई गांवों में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमराई हुई हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्रों पर न तो डॉक्टर उपलब्ध हैं और न ही जरूरी स्टाफ, जिससे ग्रामीणों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। हालात इतने खराब हैं कि मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है या बिना इलाज के लौटना पड़ रहा है।

ग्रामीणों के अनुसार ग्राम गायर, ग्राम मांडरी, ग्राम बीरपुरा, ग्राम भिटारा और ग्राम कुठौंदा बुजुर्ग सहित कई गांवों में स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ नाम के रह गए हैं। अधिकतर समय अस्पतालों पर ताले लटके रहते हैं, जबकि दीवारों पर आयुष्मान भारत और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बोर्ड लगे हुए हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे सबसे ज्यादा परेशान हैं। मामूली बीमारी में भी कई किलोमीटर दूर जिला अस्पताल या प्राइवेट क्लीनिक जाना मजबूरी बन गया है। शिकायतों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि संबंधित स्वास्थ्य केंद्रों पर तत्काल डॉक्टरों और स्टाफ की तैनाती की जाए, ताकि ग्रामीणों को उनके गांव में ही इलाज मिल सके।


📸 फोटो कैप्शन

जालौन ब्लॉक के ग्राम मांडरी स्थित आयुष्मान भारत/स्वास्थ्य उपकेंद्र का बंद पड़ा भवन, जहां डॉक्टर और स्टाफ के अभाव में मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है।

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