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ग्राम वेट में अवैध प्लॉटिंग का धंधा चरम पर, किसानों की जमीन पर माफियाओं की नजर

जनपद हापुड़
गढ़मुक्तेश्वर–सिंभावली क्षेत्र के ग्राम वेट में प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा अवैध प्लॉटिंग का खेल खुलेआम जारी है। डेहरा कुटी रोड के किनारे और नहर की पटरी से लेकर गांव की बाहरी परिधि तक तीन अलग‑अलग स्थानों पर खेतों को काटकर रिहायशी प्लॉट के रूप में बेचा जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि डासना निवासी सहित कई प्रॉपर्टी डीलर किसानों से जमीन बीघा में खरीद रहे हैं और बाद में बिना किसी स्वीकृत नक्शे के उसे इंच‑इंच में बाँटकर बेचा जा रहा है। सवाल यह उठ रहा है कि बिना मानचित्र स्वीकृति के कॉलोनियां काटने पर रोक लगाने के लिए बनी हापुड़‑पिलखुवा विकास प्राधिकरण (HPDA) की टीम आखिर यहां कब सक्रिय होगी। मौके पर देखे गए हालात के अनुसार प्लॉटों की कच्ची सड़कें, चूना‑चौकी से निशान, और अस्थायी बाउंड्री लगाकर किसानों की कृषि भूमि को तेजी से रिहायशी रूप दिया जा रहा है। नहर पटरी के किनारे हो रही प्लॉटिंग न सिर्फ नियम विरुद्ध है, बल्कि सिंचाई और सुरक्षा के लिहाज से भी खतरा पैदा कर रही है।ग्रामीणों का कहना है कि प्रॉपर्टी डीलर यह दावा करते हैं कि “ऊपर तक हमारा पैसा जाता है, कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता”, जिस वजह से स्थानीय स्तर पर शिकायतें भी दबा दी जाती हैं। विकास प्राधिकरण द्वारा बार‑बार अवैध प्लॉटिंग के खिलाफ अभियान चलाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन ग्राम वेट और आसपास के क्षेत्र में आज तक किसी बड़ी कार्रवाई का इंतजार ही किया जा रहा है।जानकारों के मुताबिक HPDA जैसी विकास प्राधिकरणों को बिना मानचित्र स्वीकृति के किसी भी तरह की कॉलोनी या प्लॉटिंग पर तुरंत रोक लगाने और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने का अधिकार है। इसके बावजूद सिंभावली क्षेत्र में लगातार नई‑नई अवैध कॉलोनियां उभरना इस बात की ओर इशारा करता है कि या तो इलाके की प्लानिंग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, या फिर कहीं न कहीं मिलीभगत से यह पूरा खेल चल रहा है।ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों ने मांग की है कि ग्राम वेट, डेहरा कुटी रोड और नहर पटरी पर हो रही सभी प्लॉटिंग का संयुक्त सर्वे कराकर अवैध कॉलोनियों को चिह्नित किया जाए। साथ ही, किसानों की जमीनों पर हो रहे इस कथित खेल की उच्चस्तरीय जांच कर जिम्मेदार प्रॉपर्टी डीलरों और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में मासूम खरीदारों और किसानों दोनों के हित सुरक्षित रह सकें।

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