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जब हम दुनिया को देखते हैं, तो हमें बहुत-सी चीज़ें नज़र आती हैं, इंसान, पेड़, जानवर, पहाड़, सितारे, लेकिन दार्शनिक लोग चीज़ों को सिर्फ़ देखते नहीं, बल्

जब हम दुनिया को देखते हैं, तो हमें बहुत-सी चीज़ें नज़र आती हैं, इंसान, पेड़, जानवर, पहाड़, सितारे, लेकिन दार्शनिक लोग चीज़ों को सिर्फ़ देखते नहीं, बल्कि यह पूछते हैं कि ये हैं ही क्यों ???

इब्ने सीना ने भी यही सवाल उठाया, और फिर उसका जवाब ढूंढने के क्रम में इब्ने सीना ने existence को तीन भागों में बाँटा,

1 - Impossible Being (ممتنع الوجود)
2 - Contingent Being (ممکن الوجود)
3 - Necessary Being (واجب الوجود)

अब प्रश्न उठता है ये Impossible Being क्या होता है?
कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिनका होना ही possible नहीं होता,
जैसे... चौकोर वृत्त (square circle), शादीशुदा कुंवारा (married bachelor),
इन चीज़ों में खुद ही contradiction है, क्योंकि कोई चौकोर चीज़ गोल नहीं हो सकती, कोई शादी शुदा व्यक्ति कुंवारा नहीं हो सकता,
इनका न होना पूरी तरह clear है, इब्ने सीना ऐसी चीज़ों को कहते हैं Impossible Being (Mumtani‘ al-Wujood), यानी जो exist ही नहीं कर सकती, जिनके बारे में सोच भी लेना logical गलती है,

अब हम अपने आसपास देखें, आप exist करते हैं, मैं exist करता हूँ, ये धरती और आसमान exist करते हैं,
लेकिन सवाल यह है, क्या इन सबका होना भी उतना ही ज़रूरी है, जितना Impossible चीज़ों का न होना ज़रूरी है?
जवाब है.... नहीं,
मेरा और आपका न होना कोई contradiction नहीं था,
दुनिया ऐसे भी हो सकती थी, कि आप पैदा ही न होते, इब्ने सीना ऐसी चीज़ों को कहते हैं, Contingent Being (Mumkin al-Wujood) यानि जिनका होना possible है और न होना भी possible हैं,

Contingent चीज़ अपने आप क्यों नहीं हो सकती?? अगर कोई चीज़ contingent है, तो वह अपने आप exist नहीं कर सकती,क्यों?? क्योंकि उसके पास खुद को exist करने की power नहीं है,
उदाहरण के लिए, घर अपने आप नहीं बनता, बच्चा अपने आप पैदा नहीं होता, पेड़ अपने आप हवा से नहीं उग जाता, हर contingent चीज़ के पीछे कोई न कोई cause होता है,

अब कोई पूछ सकता है...
"ठीक है, हर चीज़ का cause है,
लेकिन उस cause का भी cause होगा,
फिर उसका cause… और ये chain चलती ही रहे”

इब्ने सीना कहते हैं, अगर हर cause खुद contingent है, तो पूरी chain ही dependent होगी,और dependent चीज़ें मिलकर भी, independent नहीं बन सकतीं,

इसका एक आसान उदाहरण है,
मान लीजिए, दस लोग एक-दूसरे से सहारा लेकर खड़े हैं, लेकिन कोई ज़मीन पर नहीं खड़ा, तो क्या कोई खड़ा रह पाएगा?? नहीं, कुछ तो ऐसा होना चाहिए, जो खुद खड़ा हो,

यहीं से आता है Necessary Being का कॉन्सेप्ट,
इब्ने सीना कहते हैं, अगर contingent चीज़ें exist करती हैं, तो एक ऐसा Being ज़रूर होना चाहिए जो, contingent न हो, किसी cause पर depend न करता हो, जिसका न होना impossible हो, इसे कहते हैं, Necessary Being (Wajib al-Wujood)
यानि, जो exist करता ही करता है, जिसकी existence borrowed नहीं है, जो existence का source है,

Philosophy of contingency के अंतर्गत यही Necessary Being ख़ुदा के होने की दलील है,

#ExistenceOfGod
#doesgodexist

Dr Aazam Bin Rafeeq Advocate Cum Bureau Chief

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