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साथ काम करने वाले ही बन गए थे दीपू के खून के प्यासे

साथ काम करने वाले ही बन गए थे दीपू के खून के प्यासे ....बांग्लादेश मैमनसिंह में आरएबी-14 के कंपनी कमांडर, एमडी समसुज्जमां ने बांग्लादेशी अखबार ‘द डेली स्टार’ को बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे पता चले कि मृतक ने फेसबुक पर ऐसा कुछ लिखा हो जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची हो.

🔴दीपू जिस फैक्ट्री में काम करता था उसके सीनियर मैनेजर आलमगीर हुसैन ने शाम 7.30 बजे के करीब दीपू से 'नकली इस्तीफा' भी दिलवा दिया ताकि लोग शांत हो जाएं, लेकिन फैक्ट्री के मजदूर शांत होने का नाम नहीं ले रहे थे.

🔴जब फैक्ट्री मैनेजमेंट से पूछा गया कि उन्होंने पुलिस को सूचना देने में देरी क्यों कर दी तो फैक्ट्री के सीनियर मैनेजर ने कहा कि उन्होंने फैक्ट्री के अंदर ही अपने तरीकों से मामले को सुलझाने की पूरी कोशिश की. तब तक फैक्ट्री में शिफ्ट चेंज का समय हो चुका था. दूसरी शिफ्ट के वर्कर भी वहां पहुंच चुके थे. साथ ही जब ये खबर बाहर फैली तो स्थानीय लोगों का भी वहां जमावड़ा हो गया था. फैक्ट्री के वर्कर और बाहर से आई भीड़ ने दीपू को फैक्ट्री से बाहर निकाला और पीट-पीटकर जिंदा जला दिया. बांग्लादेश पुलिस ने दीपू चंद्र दास की हत्या के मामले में अबतक 12 लोगों को गिरफ्तारI

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