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राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ SHANTI बिल बना कानून, प्राइवेट कंपनियों के लिए खुला न्यूक्लियर सेक्टर

🔹 SHANTI बिल क्या है?
SHANTI = Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India
यह एक नया कानून है जो भारत के सिविल (नागरिक) न्यूक्लियर सेक्टर को आधुनिक बनाने और निजी निवेश को अनुमति देने के लिए लाया गया है।
🔹 पहले क्या था?
न्यूक्लियर सेक्टर लगभग पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में था
Atomic Energy Act, 1962 और
Civil Liability for Nuclear Damage Act, 2010 के कारण
प्राइवेट कंपनियाँ निवेश से डरती थीं
मुआवज़े (liability) का पूरा बोझ कंपनियों पर पड़ता था
🔹 SHANTI बिल से क्या बदला?
✅ 1. प्राइवेट कंपनियों की एंट्री
अब निजी कंपनियाँ:
न्यूक्लियर पावर प्लांट बना सकती हैं
चला सकती हैं
मालिकाना हक रख सकती हैं
डी-कमीशन (बंद) भी कर सकती हैं
➡️ लेकिन सरकारी लाइसेंस और निगरानी जरूरी होगी
✅ 2. पुराने कानून हटे / बदले
पुराने परमाणु कानूनों को हटाकर
एक नया, आसान और निवेश-फ्रेंडली फ्रेमवर्क लाया गया
न्यूक्लियर दुर्घटना की जिम्मेदारी अब बीमा + सरकार + ऑपरेटर में बंटी होगी
✅ 3. सरकार का कंट्रोल बरकरार
ये काम अब भी सिर्फ सरकार करेगी:
यूरेनियम / थोरियम का खनन
न्यूक्लियर ईंधन बनाना (enrichment, reprocessing)
रेडियोधर्मी कचरे का प्रबंधन
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े फैसले
➡️ यानी बिजली उत्पादन में निजी भागीदारी,
लेकिन सुरक्षा सरकार के हाथ में
🔹 इसका फायदा क्या होगा?
⚡ ज्यादा न्यूक्लियर बिजली → कम कोयला
🌱 क्लीन एनर्जी → जलवायु लक्ष्य पूरे करने में मदद
💰 विदेशी और घरेलू निवेश
🏭 नई टेक्नोलॉजी और नौकरियाँ
🔌 बिजली की कमी वाले राज्यों को फायदा
🔹 आसान उदाहरण
जैसे:
एयरपोर्ट:
सुरक्षा = सरकार
संचालन = प्राइवेट
वैसे ही:
न्यूक्लियर सुरक्षा = सरकार
पावर प्लांट संचालन = प्राइवेट + सरकार

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