मोहब्बत रसूल सल्लाहू अलैहि वसल्लम कांफ्रेंस का हुआ आयोजन
बूंदी में “मुहब्बत-ए-रसूल ﷺ” का पैग़ाम, जमीयत अहले हदीस की एक रोज़ा कांफ्रेंस ने बांधा समाज को एक सूत्र में
बूंदी शहर के प्रतिष्ठित शहनाई गार्डन में जमीयत अहले हदीस, बूंदी के तत्वावधान में एक रोज़ा “मुहब्बत-ए-रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कांफ्रेंस” का भव्य एवं गरिमामय आयोजन किया गया।
यह कांफ्रेंस न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही, बल्कि सामाजिक सौहार्द, आपसी भाईचारे और नैतिक मूल्यों को सुदृढ़ करने की दिशा में भी एक प्रभावशाली पहल साबित हुई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी नागरिक, युवा, बुजुर्ग लोग शामिल हुए।
कांफ्रेंस का मुख्य उद्देश्य समाज में रसूल-ए-अकरम ﷺ की सच्ची मुहब्बत, उनकी सीरत-ए-तैय्यबा, आदर्श चरित्र और सुन्नत के महत्व को उजागर करना रहा।
आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि रसूलुल्लाह ﷺ से मुहब्बत केवल भावनात्मक अभिव्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके बताए हुए मार्ग पर चलना, उनके अख़लाक़ को अपनाना और समाज में अमन-शांति का वातावरण बनाना ही इसकी वास्तविक पहचान है।
कार्यक्रम की सादगीपूर्ण शुरुआत
कांफ्रेंस की शुरुआत तिलावत-ए-क़ुरआन-ए-पाक से हुई, जिसने पूरे वातावरण को रूहानियत से भर दिया।
प्रारंभिक सत्र में आयोजकों ने कांफ्रेंस के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में समाज अनेक प्रकार की वैचारिक, नैतिक और सामाजिक चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में नबी-ए-करीम ﷺ की शिक्षाएँ ही वह प्रकाशस्तंभ हैं, जो इंसानियत को सही दिशा दिखा सकती हैं।
रसूल ﷺ की सीरत—हर दौर के लिए मार्गदर्शन
कांफ्रेंस में उलमा-ए-किराम एवं वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
वक्ताओं ने अपने संबोधनों में कहा कि रसूलुल्लाह ﷺ की ज़िंदगी हर दौर और हर समाज के लिए एक मुकम्मल आदर्श है।
उन्होंने बताया कि नबी ﷺ ने जिस तरह मक्का और मदीना में अमन, इंसाफ़ और भाईचारे की नींव रखी, वही आज के दौर में भी हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत है।
वक्ताओं ने इस बात पर विशेष ज़ोर दिया कि रसूल-ए-अकरम ﷺ की मुहब्बत का असली पैमाना उनकी सुन्नत पर अमल करना है। उन्होंने कहा कि अगर एक मुसलमान अपने व्यवहार में सच्चाई, ईमानदारी, सब्र, सहनशीलता और इंसाफ़ को अपनाता है, तो यही नबी ﷺ से उसकी सच्ची मुहब्बत का प्रमाण है।
युवाओं को दिया गया विशेष संदेश
कांफ्रेंस में युवाओं को विशेष रूप से संबोधित किया गया।
वक्ताओं ने कहा कि आज का युवा अनेक प्रकार की भटकाव भरी परिस्थितियों से गुजर रहा है।
सोशल मीडिया, नशाखोरी और नैतिक पतन जैसी समस्याएँ समाज को खोखला कर रही हैं। ऐसे में युवाओं के लिए सबसे सुरक्षित रास्ता यही है कि वे रसूलुल्लाह ﷺ की सीरत को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
उन्होंने कहा कि नबी ﷺ का जीवन युवाओं को संयम, साहस, ईमानदारी और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाता है। यदि युवा वर्ग इस आदर्श को अपनाए, तो न केवल उनका व्यक्तिगत जीवन संवर सकता है, बल्कि समाज और देश भी प्रगति की राह पर आगे बढ़ सकता है।
अमन और भाईचारे का पैग़ाम
वक्ताओं ने अपने भाषणों में यह स्पष्ट किया कि इस्लाम का मूल संदेश अमन और इंसानियत है। रसूल-ए-अकरम ﷺ ने हमेशा आपसी प्रेम, सहिष्णुता और भाईचारे की शिक्षा दी। उन्होंने गैर-मुस्लिमों के साथ भी न्यायपूर्ण और करुणामय व्यवहार किया, जो आज के समय में हमारे लिए एक बड़ी मिसाल है।
कांफ्रेंस में यह भी कहा गया कि समाज में फैल रही नफरत और गलतफहमियों को दूर करने के लिए ऐसे आयोजनों की सख्त आवश्यकता है।
जब लोग रसूल ﷺ की सच्ची शिक्षाओं को समझेंगे, तभी समाज में स्थायी शांति और सद्भाव स्थापित हो सकेगा।
जमीयत अहले हदीस की भूमिका की सराहना
जमीयत अहले हदीस, बूंदी के पदाधिकारियों ने अपने वक्तव्य में कहा कि संस्था का उद्देश्य केवल धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करना नहीं, बल्कि समाज को सकारात्मक दिशा देना है।
उन्होंने बताया कि जमीयत अहले हदीस समय-समय पर शैक्षिक, सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का कार्य करती रही है।
उन्होंने कहा कि “मुहब्बत-ए-रसूल ﷺ कांफ्रेंस” इसी कड़ी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है,
जिसके माध्यम से समाज को यह संदेश दिया गया कि नबी ﷺ की शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी उनके समय में थीं।
अनुशासन और व्यवस्था की मिसाल
कांफ्रेंस के दौरान अनुशासन और व्यवस्था विशेष रूप से देखने योग्य रही। आयोजकों द्वारा बैठने, पानी और अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित किया गया। स्वयंसेवकों ने पूरे कार्यक्रम के दौरान सक्रिय भूमिका निभाई, जिससे कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।
समापन पर दुआ और संदेश
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में सामूहिक दुआ की गई। दुआ में देश में अमन-चैन, भाईचारे, आपसी प्रेम और समाज की तरक्की की कामना की गई। साथ ही यह दुआ भी की गई कि अल्लाह तआला सभी को रसूल-ए-अकरम ﷺ की सच्ची मुहब्बत और उनकी सुन्नत पर चलने की तौफ़ीक़ अता फरमाए।
समाज पर सकारात्मक प्रभाव
कुल मिलाकर, शहनाई गार्डन में आयोजित यह एक रोज़ा “मुहब्बत-ए-रसूल ﷺ कांफ्रेंस” बूंदी के सामाजिक और धार्मिक जीवन में एक सकारात्मक संदेश देने वाला आयोजन साबित हुआ। कार्यक्रम ने यह स्पष्ट किया कि अगर समाज रसूल-ए-अकरम ﷺ की शिक्षाओं को अपनाए, तो आपसी मतभेद, नफरत और हिंसा जैसी समस्याओं का समाधान संभव है।
उपस्थित लोगों ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर होना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी को सही मार्गदर्शन मिल सके और समाज में नैतिक मूल्यों को मजबूती मिले।
मौलाना अतिकू रहमान सनाबीली, अफजल सनाबिली जयपुर ने मुक्त वक्ता रहे
संचालन मौलाना असलम मांगरोल ने की
सैफी मौहम्मद आरिफ़ नागौरी इस्माइल सरवड़ी,अब्दुल हाफिज मकराना, मोहम्मद शब्बरी टॉक सरवाड़, हाकम अली खान, जयपुर, अब्दुल हाफिज खिलजी प्रवक्ता मकराना, इमाम मस्जिद सुकेत ,कोटा केशव राय पाटन
नासिर हुसैन नागौरी अमीर जमीयत अहले हदीस बूंदी इमरान मिर्ज़ा, अरशद नागौरी ,आशिक अली,शाहबुद्दीन,शाकिर नागौरी, अज़हर खान, आरिफ़ हसनोत, नाजिम, शहजाद , वसीम खत्री,
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