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कोरबा के डोंगरीभाठा में 100 साल पुरानी परंपरा, हर शादी से पहले ‘पत्थर के दूल्हा-दुल्हन’ की पूजा

कोरबा : कोरबा-चांपा मार्ग पर बरपाली के पास बसा डोंगरीभाठा गांव अपनी एक रहस्यमयी और अनोखी परंपरा के कारण पूरे अंचल में चर्चा का विषय है। यहां बीते करीब 100 वर्षों से हर शादी से पहले पत्थर के दूल्हा-दुल्हन और बारातियों की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं गांव में बेटी की विदाई सूरज निकलने से पहले ही कर दी जाती है ताकि कोई अनहोनी न हो।
गांव के प्रवेश द्वार पर एक स्थान पर कतार में रखे पत्थर हैं। इनमें दो मुख्य पत्थरों को दूल्हा-दुल्हन और बाकी को बाराती माना जाता है। इन पत्थरों पर सिंदूर चढ़ाया जाता है, नारियल अर्पित किए जाते हैं और यहीं से गांव की हर शादी की रस्म शुरू होती है।

ग्रामीणों की मान्यता है कि ये पत्थर कभी चलते-फिरते इंसान थे। कहा जाता है कि एक बार दूल्हा-दुल्हन सहित पूरी बारात यहां से गुजर रही थी। रात को यहीं विश्राम किया गया, भोजन भी हुआ, लेकिन सुबह सूर्य की पहली किरण पड़ते ही पूरी बारात पत्थर में तब्दील हो गई। मान्यता है कि किसी भूल या नियम के उल्लंघन के कारण ऐसा हुआ। इसी डर और विश्वास के चलते गांव में आज भी नियम सख्ती से निभाया जाता है। कोई भी बारात बिना नारियल चढ़ाए आगे नहीं बढ़ती, और बेटी की विदाई दिन निकलने से पहले ही कर दी जाती है। ग्रामीण कहते हैं“फिर कोई पत्थर न बन जाए, इसलिए रिस्क नहीं लेते।”
Video link - https://youtu.be/rHA9-o_O5Wk?si=pswoSia1mzXAnH5z

गांव के टिकैत राम बताते हैं जब से होश संभाला है, यही परंपरा देख रहा हूं। हर शादी की पूजा यहीं होती है। लोग पुरानी मान्यताओं को मानते हैं, नए नियमों को नहीं। इन पत्थरों की ऊंचाई हर साल थोड़ी बढ़ती है आज सिंदूर लगाइए, अगले साल निशान ऊपर दिखेगा।” वैज्ञानिक दृष्टि से बारातियों के पत्थर बन जाने की बात पर विश्वास करना कठिन है। इस रहस्यमयी कथा की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। लेकिन आधुनिक दौर में भी डोंगरीभाठा के लोग इस कहानी को सच मानते हैं, और परंपरा को निभाने में कोई कोताही नहीं बरतते।

आस्था, भय और लोककथा का यह अनोखा संगम आज भी डोंगरीभाठा को अलग पहचान देता है जहां शादी सिर्फ रस्म नहीं, बल्कि सूरज से पहले पूरी की जाने वाली परंपरा है।
https://youtu.be/rHA9-o_O5Wk?si=QZ7wb6ytOgNxTI8a

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