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सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई समाजों पर हमला करता है, या हमला करवाता है, तो उसको दस साल की होगी सज़ा


रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने उन आपराधिक फैलने वाले मामलों पर कड़ी टिप्‍पणी करते हुए कहा है कि यदि कोई ईसाई समाजों पर हमला करता है या हमला करवाता है, तो उसे दस साल तक की सज़ा हो सकती है। कोर्ट ने यह बात सामाजिक सौहार्द और धार्मिक आज़ादी के संदर्भ में कही।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में अल्पसंख्यक समुदायों पर होने वाले हमलों को किसी भी सूरत में बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। अगर कोई भी संगठन या व्यक्ति नफ़रत फैलाने वाली गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो उसके ख़िलाफ़ सख्‍त कानूनी कार्रवाई ज़रूर होगी।निर्णय में यह भी कहा गया कि राज्य सरकारों का कर्तव्य है कि वे ऐसे मामलों में तुरंत एफआईआर दर्ज करें और पीड़ितों को सुरक्षा दें। अगर किसी प्रदेश की पुलिस कार्रवाई करने में लापरवाही बरतती है, तो संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जा सकती है।कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान हर नागरिक को धर्म की स्वतंत्रता देता है और किसी भी नागरिक पर उसके धर्म के कारण हमला करना गंभीर अपराध है। अदालत ने उम्मीद जताई कि इस आदेश के बाद ईसाई समाज सहित सभी अल्पसंख्यक समुदाय अपने‑आप को अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे।

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