
वंचित बच्चों ने वैज्ञानिक मॉडलों से सबको किया हैरान
देहरादून। शहर के रेसकोर्स क्षेत्र में स्थित सनातन धर्म इंटर कॉलेज के मैदान में शनिवार को कुछ ऐसा नजारा था, मानो कोई बड़ा विज्ञान प्रदर्शनी चल रही हो। लेकिन यहां मॉडल पेश करने वाले कोई अमीर स्कूलों के बच्चे नहीं, बल्कि सड़कों और झुग्गी-झोपड़ियों से निकले 200 से ज्यादा बच्चे थे। आसरा ट्रस्ट के 5वें वार्षिक ‘ज्ञान मंथन मेले’ में इन बच्चों ने 35 से अधिक नवाचारी वैज्ञानिक मॉडल और लाइव प्रयोग दिखाकर साबित कर दिया कि अगर मौका मिले तो कोई भी बच्चा असाधारण कर सकता है।
यह मेला आसरा ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी स्वर्गीय अर्जन डेविड ब्रिजनाथ की याद में हर साल आयोजित होता है। कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तराखंड एससीईआरटी के संयुक्त निदेशक कृष्णानंद बिजलवान और जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट ने किया। इस मौके पर शरण ब्रिजनाथ, गौरी खन्ना के साथ आसरा बोर्ड की शैला ब्रिजनाथ, नीलू खन्ना और अदिति पी. कौर भी मौजूद रहीं।
बच्चों ने जो मॉडल बनाए, वे कोई किताबी ज्ञान नहीं थे। जल संरक्षण, सौर ऊर्जा का उपयोग, कचरे से बिजली बनाने जैसे वास्तविक समस्याओं पर आधारित थे। कई मॉडल तो ऐसे थे कि देखने वाले ठिठककर रुक गए। आसरा की टिंकरिंग लैब का कमाल साफ दिख रहा था, जहां बच्चों को प्रयोग करने की पूरी आजादी और संसाधन मिलते हैं।
शैला ब्रिजनाथ ने बताया, “ये बच्चे पहले सड़क पर भीख मांगते थे या कचरा बीनते थे। आज ये वैज्ञानिक सोच के साथ मॉडल बना रहे हैं। यही हमारा सबसे बड़ा गर्व है।”
उत्तराखंड के तीन जिलों से आए इन बच्चों में लड़कियों की भागीदारी खास तौर पर बढ़ी है, जो विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में उनकी बढ़ती रुचि को दिखाता है।
2009 से काम कर रहा आसरा ट्रस्ट अब तक 28,600 से ज्यादा जरूरतमंदों की जिंदगी को बेहतर बना चुका है। शिक्षा के साथ पोषण, स्वास्थ्य और स्किल ट्रेनिंग पर फोकस करने वाली इस संस्था की 80 से अधिक परियोजनाएं चल रही हैं।
ज्ञान मंथन मेला सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि एक संदेश है—समाज के हाशिए पर खड़े बच्चे भी सही दिशा मिलने पर देश का भविष्य बदल सकते हैं।