अजमेर में PWD अधिकारी से मारपीट: पुलिस की मौजूदगी में वकीलों की हिंसा पर उठे गंभीर सवाल
अजमेर | AIMA मीडियाअजमेर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ लोक निर्माण विभाग (PWD) के एक अधिकारी को वकीलों द्वारा दौड़ा-दौड़ा कर पीटने का मामला सामने आया है। सबसे गंभीर पहलू यह है कि यह पूरी घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई, लेकिन पुलिस हस्तक्षेप करती नज़र नहीं आई।घटना का वीडियो और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान सामने आने के बाद कानून व्यवस्था और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आमतौर पर कानून के रक्षक माने जाने वाले वर्ग द्वारा खुलेआम हिंसा किए जाने से प्रशासन की भूमिका भी कटघरे में है।पुलिस की निष्क्रियता पर सवालघटना के दौरान पुलिस मौके पर मौजूद थी, इसके बावजूद PWD अधिकारी को बचाने या आरोपियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं की गई। इससे यह संदेश जा रहा है कि क्या कुछ वर्ग कानून से ऊपर हैं?पूर्व उदाहरण से तुलनागौरतलब है कि इससे पहले जोधपुर में एक वकील के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार के मामले में माननीय हाईकोर्ट ने तुरंत संज्ञान लिया था।पुलिस कमिश्नर को तलब किया गयासंबंधित थानेदार को निलंबित किया गयापुलिसकर्मियों को व्यवहार सुधार प्रशिक्षण तक देना पड़ाअब अजमेर की इस घटना में स्थिति उलट है—यहाँ वकीलों पर हिंसा के आरोप हैं।क्या होगा समान न्याय?कानूनी जानकारों का कहना है कि यदि कोई भी व्यक्ति—चाहे वह वकील हो या अधिकारी—कानून हाथ में लेता है, तो उसके खिलाफ IPC के तहत कार्रवाई और बार काउंसिल द्वारा अनुशासनात्मक कदम उठाए जाने का प्रावधान है।अब बड़ा सवाल यह है:क्या माननीय हाईकोर्ट इस मामले में स्वतः संज्ञान लेगा?क्या बार काउंसिल संबंधित वकीलों से जवाबदेही तय करेगी?और क्या पुलिस की भूमिका की निष्पक्ष जांच होगी?न्याय की कसौटीलोकतंत्र में न्याय सबके लिए समान होना चाहिए। यदि कानून का कठोर पालन केवल आम नागरिकों और अधिकारियों पर हो और प्रभावशाली वर्ग पर नहीं, तो यह व्यवस्था पर गहरा आघात है।AIMA मीडिया इस पूरे मामले पर प्रशासनिक कार्रवाई और न्यायिक रुख पर लगातार नज़र बनाए हुए है।