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वांझ गांव में फिर आवारा पशुओं का आतंक तंत्र की लापरवाही नागरिकों के जीवन पर भारी

वांझ गांव में फिर आवारा पशुओं का आतंक
तंत्र की लापरवाही नागरिकों के जीवन पर भारी
सुरत जील्ला के वांझ गांव के नागरिकों के लिए सड़क पर चलना अब सुरक्षित आवागमन नहीं, बल्कि किस्मत आजमाने जैसा बन गया है। गांव में एक बार फिर आवारा पशुओं का आतंक बढ़ गया है और संबंधित तंत्र हमेशा की तरह निष्क्रिय व गैर-जिम्मेदार रवैया अपनाए हुए है।
वांझ गांव की मुख्य सड़कों, रिहायशी क्षेत्रों और बाजार इलाकों में गाय-बैल खुलेआम घूमते नजर आ रहे हैं, जो रोजाना दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों, बुजुर्गों, दुकानदारों और वाहन चालकों की जान हर समय खतरे में बनी हुई है। रात होते ही हालात और भी भयावह हो जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदार विभाग केवल कागजी कार्रवाई और औपचारिकताओं तक ही सीमित हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि
क्या किसी बड़ी दुर्घटना या जानमाल के नुकसान के बाद ही तंत्र जागेगा?
या फिर गांव की सुरक्षा केवल फाइलों में ही सिमटी रह जाएगी?
ग्रामजनों द्वारा कई बार लिखित और मौखिक शिकायतें दिए जाने के बावजूद आवारा पशुओं को पकड़ने की कार्रवाई शून्य के बराबर है। तंत्र की यह लापरवाही अब सामान्य भूल नहीं, बल्कि सीधे तौर पर मानव जीवन के साथ खिलवाड़ बन चुकी है।
वांझ गांव की जनता स्पष्ट रूप से मांग करती है कि आवारा पशुओं के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई की जाए। केवल आश्वासन नहीं, बल्कि जमीन पर प्रभावी कदम उठाए जाएं। अन्यथा आने वाले दिनों में यदि कोई बड़ी दुर्घटना होती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित विभागों और अधिकारियों की ही होगी

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