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स्वास्थ्य विभाग द्वारा शीत लहर से बचाव के लिए सुझाव और दिशा-निर्देश जारी

स्वास्थ्य विभाग द्वारा शीत लहर से बचाव के लिए सुझाव और दिशा-निर्देश जारी

होशियारपुर/ दलजीत अज्नोहा

लगातार बढ़ती ठंड को ध्यान में रखते हुए सिविल सर्जन होशियारपुर डॉ. बलवीर कुमार द्वारा आम जनता की सुरक्षा के लिए एक विस्तृत एडवाइजरी जारी की गई है। उन्होंने बताया कि तापमान में लगातार गिरावट के कारण लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से फ्लू, नाक बहना, हाइपोथर्मिया, फ्रॉस्टबाइट जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

एडवाइजरी के संबंध में जानकारी देते हुए डॉ. बलवीर कुमार ने कहा कि आने वाली शीत लहर के दौरान लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी निर्देशों का पूरी तरह पालन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि मैदानी क्षेत्रों में जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम तथा पहाड़ी क्षेत्रों में 0 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो जाता है, तो उसे शीत लहर माना जाता है।

सिविल सर्जन ने कहा कि लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से फ्लू और नाक बहने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। शीत लहर के दौरान यथासंभव घर के अंदर रहें और ठंडी हवा के संपर्क से बचने के लिए यात्रा को कम से कम रखें।

उन्होंने सलाह दी कि ढीले और कई परतों वाले कपड़े पहनें। तंग कपड़े रक्त संचार को प्रभावित करते हैं, इसलिए एक परत की बजाय ऊनी और विंडप्रूफ मल्टी-लेयर कपड़े पहनें। स्वयं को सूखा रखें तथा सिर, गर्दन, हाथों और पैरों की उंगलियों को अच्छी तरह ढकें, क्योंकि ठंड का सबसे अधिक प्रभाव इन्हीं अंगों पर पड़ता है।

दस्तानों की बजाय मिटन पहनने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि मिटन अधिक गर्माहट और इंसुलेशन प्रदान करते हैं। इसके अलावा टोपी और मफलर का प्रयोग करें तथा इंसुलेटेड या वॉटरप्रूफ जूते पहनें।

शरीर के तापमान को संतुलित बनाए रखने के लिए स्वस्थ और पौष्टिक भोजन करें। विटामिन-सी से भरपूर फल, शहद, गुड़ और मौसमी सब्जियों के सेवन की सलाह दी गई। शरीर की गर्मी बनाए रखने के लिए नियमित रूप से गर्म तरल पदार्थ पिएं। शराब का सेवन न करें, क्योंकि यह शरीर का तापमान कम करती है।

त्वचा को सूखने से बचाने के लिए नियमित रूप से तेल, पेट्रोलियम जेली या बॉडी क्रीम का उपयोग करें। विशेष रूप से बुजुर्गों और बच्चों का ध्यान रखें। लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से त्वचा फीकी, कठोर या सुन्न हो सकती है तथा खुले अंगों पर छाले भी पड़ सकते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

उन्होंने बताया कि यदि उंगलियों, पैरों की उंगलियों, कानों की लोब या नाक के सिरे पर सुन्नपन, सफेदी या फीकी दिखावट दिखाई दे, तो इसे नजरअंदाज न करें। ठंड से प्रभावित अंगों को गुनगुने (बहुत गर्म नहीं) पानी से सेक दें।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि शीत लहर के गंभीर प्रभाव से हाइपोथर्मिया हो सकता है, जिससे शरीर का तापमान गिर जाता है और कंपकंपी, बोलने में कठिनाई, अधिक नींद आना, मांसपेशियों में अकड़न तथा सांस लेने में परेशानी हो सकती है। हाइपोथर्मिया एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसके लिए तुरंत चिकित्सा सहायता लेना अत्यंत आवश्यक है।

अंत में सिविल सर्जन डॉ. बलवीर कुमार ने कहा कि बंद कमरे में कभी भी अंगीठी न जलाएं, क्योंकि इससे कार्बन मोनोऑक्साइड गैस उत्पन्न हो सकती है, जो जानलेवा साबित हो सकती है। इसके साथ ही शीत लहर के मौसम के दौरान स्थानीय मौसम की जानकारी के लिए टीवी, रेडियो, समाचार पत्रों और मोबाइल एप्लिकेशनों को नियमित रूप से जांचने की अपील की गई।

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