दस एकड़ में खेती की सिंचाई और मछली पालन से बढ़ी आजीविका की गतिविधियां
कोरिया 19 दिसम्बर 2025/* जलाशय आरंभ से ही मानवीय आबादी के लिए एक सुरक्षित जल संसाधन रहे हैं। इनकी उपयोगिता और आवश्यकता पर जितना भी लिखा जाए कहम होगा। जल संरक्षण एवं संवर्धन की इसी महत्वपूर्ण कड़ी को और सशक्त करने के लिए कोरिया जिले बैकुण्ठपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत-बिलारो में गौठान तालाब का चिन्हाकन किया गया। उक्त तालाब का उपयोग समुदाय के द्वारा 20 वर्षों से अधिक समय से उपयोग किया जा रहा है किन्तु समय बीतने पर गाद जमा होने की वजह से धीरे-धीरे जल भराव का स्तर कम होने लगा था जिससे आस-पास रहने वाले ग्रामीण किसानों को खेती वाड़ी, निस्तारी व निजी कार्यों के लिए बहुत परेशानियॉं उठानी पड़ रही थी।*मनरेगा से हुआ कायाकल्प*पहले केवल बारिश में आंशिक जलभराव और ठंड की समाप्ति तक सूखने की कगार पर पहुंचने वाले गौठान तालाब के जीर्णोद्धार के लिए ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के आधार पर महात्मा गांधी नरेगा योजनांतर्गत तालाब गहरी करण एवं 01 नग घाट निर्माण कार्य के लिए 9 लाख 21 हजार रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई। इस कार्य के लिए ग्राम पंचायत बिलारो को ही कार्य एजेंसी बनाया गया।*दो हजार से अधिक मानव दिवस का रोजगार*वित्तीय वर्ष 2023-24 में स्वीकृति उपरांत ग्राम पंचायत द्वारा यह कार्य संपादित कराया गया। यह कार्य जलसंसाधन के पुनरूद्धार के साथ ही गांव में रोजगार के अवसर लेकर आया। इस कार्य के दौरान 427 जाबकार्ड धारियों ने कुल 2 हजार 267 दिवस का अकुशल श्रम करके मजदूरी प्राप्त की। गांव वालों की सहभागिता से अब यह तालाब गांव का एक प्रमुख संसाधन बन गया है।*दस हजार घनमीटर जलभराव*तालाब का जीर्णाद्धार कार्य पूर्ण हो जाने के बाद अब इस संसाधन में 10 हजार घनमीटर जलभराव होने लगा है। गांव वालों के दैनिक जरूरतों को पूरा करते हुए अब यह तालाब आसपास के किसानों के खेतों में दो फसलों की सिंचाई, दैनिक निस्तार और समूह के मछलीपालन के लिए भी उपयोगी हो गया है। *दस एकड़ में सिंचाई*पूर्व में आस पास के किसान सिर्फ एक फसल कृषि करते थे। असमान वर्षा के कारण पानी की कमी से तालाब में कम जल होने के कारण तालाब के जल का उपयोग भी सिचांई कार्य के लिए नही कर पाते थे जिससे आये दिन किसानो एवं ग्रामीणो के लिए समस्या बनी रहती थी। वर्तमान में कार्य पूर्ण होने पर लगभग 10 एकड रकबा में रबी एवं खरीफ दोनो प्रकार की खेती, आसपास सब्जी लगाने एवं निस्तारी हेतु पर्याप्त जल उपलब्ध हो गया है।*आजीविका का साधन* वर्तमान में कार्य पूर्ण होने के उपरांत इस तालाब में जल की वार्षिक उपलब्धता के साथ ही ग्रामीणों के लिए खेती के साथ एक अन्य आजीविका के नये साधन का सृजन हुआ, ग्रामवासी अब स्व सहायता समूह के माध्यम से लगभग 10 किलो मछली बीज डालकर मछली पालन का कार्य आरंभ कर चुके हैं। दैनिक निस्तार, ग्रामीणों के संस्कार के लिए घाट एवं नहानी घर उपलब्ध हो जाने से उनका जीवन ज्यादा सुलभ हुआ है।