
20 साल से 10 बीघे जमीन के लिए भटक रहा गरीब ननकावन
आखिर कब मिलेगा ननकावन को उसका हक
चित्रकूट: इसे नौकरशाह का अपना काम करने का तरीका कहें या फिर किसी फरियादी के उसके गरीब होने का कसूर कि जो नौकरशाही के साँचे में फिट नहीं बैठता। उसके पास चाहे किसी माननीय का लेटर पैड क्यूं न हो लेकिन नौकरशाही नहीं सुनते प्रशासन की इस उदासीनता का उदाहरण है ननकावन, हां ननकावन वह शख्स है जो पिछले 20 सालों से जमीन के पट्टे के लिए दर-दर भटक रहा है यहां पर ननकावन का भटकना इसलिए महत्वपूर्ण है कि उसके पास एक माननीय की सिफारिश के लेटर पैड मौजूद है लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा से यह लेटर पैड भी बेईमान साबित हो गए हैं जनपद में पहाड़ी थाना क्षेत्र के दरसेडा गांव का रहने वाला ननकावन बेहद गरीब और खानाबदोश जीवन जी रहा है लेकिन उसके बावजूद ननकवन की खुद्दारी की मजबूत चमड़ी ओढ़ रखी है। वह अपनी इस हालात के बावजूद मक्कारों की तरह बैठकर वह मांग कर खाने की वजाय दिन भर पसीना बहा कर अपना और अपने परिवार के लिए 2 जून की रोटी का बंदोबस्त करता है । आज से लगभग 20 साल पहले सन 2005 से तक के तत्कालीन सपा सरकार के दौरान चित्रकूट में आयोजित पार्टी के चिंतन शिविर से ननकावन को आश्वासन मिला था। ननकावन ने बताया कि 2005 में जब चित्रकूट में सपा पार्टी का चिंतन शिविर आयोजित हुआ था और उसमें पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह भी आए थे । ननकावन ने बताया कि वह चिंतन शिविर में अपना दुखड़ा रोने के लिए पहुंचा इस पर पहले तो उसे फटकार का सामना करना पड़ा लेकिन किसी तरह चिंतन शिविर में आए सपा मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव तक बात पहुंच गई जिस पर मुलायम सिंह ने उसको ₹100000 देने के लिए कहा लेकिन अपनी खुद्दारी के चलते उसने रुपए लेने से मना कर दिया और मुलायम सिंह से खुद के लिए जमीन का पट्टा देने की गुहार लगाई जिस पर मुलायम सिंह ने वहां उपस्थित तत्कालीन जिलाधिकारी व प्रशासनिक अधिकारियों को ननकावन के लिए जमीन का पट्टा देने का निर्देश दिया था हाई कमान के इस निर्देश पर वहां पर उपस्थित अधिकारियों ने उनकी हां में हां मिलाते हुए ननकावन को तत्काल ही पट्टा देने का आदेश दिया था और फिर ननकावन वहां से चला गया लेकिन फिर वही कहानी चिंतन शिबिर समाप्त हुआ और जिला अधिकारी ननकावन को ही नहीं भूले बिल्कुल हाई कमान के निर्देश को भी भूल गए ननकावन की कही कोई सुनाई नहीं हुई इसके बाद बीच में बसपा सरकार में भी ननकावन ने कई माननीय को अपना दुखड़ा रोया लेकिन वहां भी ननकवन को आश्वासन का खाली फैला मिला फिर इसके बाद बीच में सबका सरकार आई उसने उसे भी कुछ माननीय के द्वारा लेटर पैड के द्वारा उन्होंने उसे भी अपना दुखड़ा बताया लेकिन अधिकारियों ने उसकी एक भी नहीं सुनी आज प्रदेश में भाजपा सरकार है जिससे वह कुछ माननीय के द्वारा अपना दुखड़ा सुना रहे हैं आखिर ननकावन यादव को कब उसके हक की जमीन उसको मिलेगी या वह ऐसे ही दर-दर भटकता रहेगा उसे ननकावन यादव का कहना है यदि अब इन सात दिनों में मेरी अधिकारियों ने नहीं सुनी तो मैं धरने पर बैठ जाऊंगा।