logo

फरीदकोट के रोज एनक्लेव स्थित श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर में 15 दिवसीय गीता प्रवचन कार्यक्रम का 11वां दिन

*अजर, अमर, अभेद्य, अकाट्य है आत्माः स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज*
फरीदकोट के रोज एनक्लेव स्थित श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर में 15 दिवसीय गीता प्रवचन कार्यक्रम का 11वां दिन
*महाराज जी बोले-आत्मा कभी नहीं मरती*
फरीदकोट,19 दिसंबर ( कंवल सरां/ गौतम बांसल) श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने गीता पर चर्चा करते हुए कहा कि आत्मा अजर है, अमर है, अभेद्य है, अछेद्य है और अकाट्य है, अदाह्य है। आत्मा कभी मरती नहीं। शरीर कभी अमर होता नहीं। हम शरीर नहीं हम आत्मा हैं। यदि यह शक्ल बदल जाएंगी तो और बढ़िया शक्ल मिल जाएगी। पहले भी कोई शरीर था, पूर्व में भी कोई नाते रिश्तेदार रहे होंगे, पति परिवार रहे होंगे। उनको हम भूल चुके हैं। आगे नए मिल जाएंगे यह कोई नई घटना नहीं है। मृत्यु सबके घरों में होती है।
महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद जी महाराज ने यह विचार फरीदकोट के रोज एनक्लेव स्थित श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर में आयोजित 15 दिवसीय गीता प्रवचन कार्यक्रम के 11वें दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए । महाराज जी ने कहा कि इंद्रियां और विषय के संबंध से सुख-दुःख मिलता है। समझदार व्यक्ति सुख पाकर हर्षित नहीं होता, दु:ख पाकर व्यथित नहीं होता। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसके जीवन में कुछ न कुछ समस्याएं न हो। प्रधानमंत्री हो, राष्ट्रपति हो, बड़े-बड़े मंत्री हों, बड़े-बड़े संत महापुरुष हों, प्रतिकूल परिस्थिति सबके जीवन में आती रहती है।
"नानक दुखिया सब संसार, सोई सुखिया जिन नाम आधार"। महाराज जी ने बताया कि यदि दीपक अखंड जलते देखना हो तो घी डालते रहना और हवा से बचाके रखना पड़त है। अपने वैराग्य और ज्ञान की ज्योति अखंड जलाके रखना चाहते हो तो सत्संग का तेल डालते रहना, और कुसंग की हवा से बचाके रखना होगा तभी यह जीवन कंचन बन जाएगा। धर्म भूमि में आकर अणु समान भी पाप कर ले तो पहाड़ जैसा हो जाता है, और पुण्य कर लो तो भी पहाड़ के समान फल मिलता है। भगवान कहते हैं कि कभी मेरे भक्त का नाश नहीं होता। मेरे भक्त की नौका कभी मंझदार में डूब नहीं सकती। जो मेरा बनकर जीएगा, मेरी आज्ञा का पालन करेगा, मैं उसे सब कुछ लुटा दूंगा।
महाराज जी ने आगे बताया कि अर्जुन की रक्षा के लिए श्री कृष्ण शरीर के टुकड़े-टुकड़े भी करवा लेंगे, पर अपने भक्त अर्जुन का बाल बांका नहीं होने देंगे। इसीलिए क्योंकि अर्जुन भी कृष्ण के लिए हर वक्त अपने प्राण देने को तत्पर रहता था। स्वामी जी महाराज ने आगे बताया कि गर्मी आए या बरसात, यह सदा के लिए नहीं रहते। जो आता है वह जाता है। दु:ख नहीं रहा, सुख भी नहीं रहेगा। दु:ख आता है तो जाने के लिए आया है, जिस व्यक्ति का जीवन दु:ख में व्यतीत होता है, उसके पाप कटते हैं। और वह व्यक्ति यदि थोड़ी सी भी समझदारी रखें तो थोड़े दिनों में परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। दु:ख कड़वा होता है लेकिन ईश्वर को मिलने वाला होता है। सुख मीठा है पर ईश्वर से दूर करता है। आपके जीवन में सुख ज्यादा मिल रहा है यदि भजन नहीं कर रहे हैं तो बहुत घाटे में हो। यदि दु:ख आएगा तो पाप कटेगा और थोड़ा-थोड़ा भजन भी हो जाएगा। यदि जीवन में थोड़ा दु:ख आए तो घबराना नहीं वो परमात्मा का चिंतन कराने वाला होता है।
महाराज जी ने आगे बताया कि जो व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थिति में व्यथित नहीं होता और अनुकूल परिस्थिति में ज्यादा हर्षित नहीं होता वह व्यक्ति ईश्वर को पाने का हकदार है। दु:ख और सुख में एक समान बनकर जीने का नियम है। बहुत सारे लोग सुख आए तो सुरा-सुंदरी में पागल हो जाते हैं। ज्यादा से ज्यादा दान करें, भजन करें, तीर्थ यात्रा करें। नहीं तो सुख कुछ दिनों में चला जाएगा। दु:ख आए तो भजन क्यों करें! महाराज जी ने बताया दु:ख पाप का फल होता है और पाप भजन से ही कटता है। ज्यादा भजन करने से पाप की जड़े कट जाती हैं, तो दु:ख अपने आप चला जाएगा। सुख आए तो भजन क्यों करें! तो महाराज जी ने बताया कि पहले भजन किया था तो अब सुख मिला है, अब भजन करेंगे तो अगले जन्म में सुखी रहेंगे, आनंदित रहेंगे।

19
934 views