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टैक्स देने वालों की बेबसी और फोकटियों का सिस्टम :- Nandu roy का रिपोर्ट

टैक्स देने वालों की बेबसी और फोकटियों का सिस्टम

बंगलोर में काम करने वाला एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर।
43.5 लाख रुपये सालाना पैकेज।
पिछले पाँच वर्षों में सरकार को लगभग 30 लाख रुपये इनकम टैक्स।

यह कोई कहानी नहीं, यह आज के भारत के ईमानदार करदाता वर्ग की सच्चाई है।

अचानक आई छँटनी ने उसकी नौकरी छीन ली।
कुछ महीनों तक उसने अपनी बचत से घर चलाया।
जब बचत भी खत्म हो गई, तब शुरू हुआ असली संघर्ष —
अनिश्चितता, अपमान और गहरा डिप्रेशन।

सवाल यह है —

जिस व्यक्ति ने देश की अर्थव्यवस्था में करोड़ों के प्रोजेक्ट्स पर काम किया,
जिसने हर महीने ईमानदारी से टैक्स भरा,
उसी व्यक्ति के लिए देश में कोई सुरक्षा कवच क्यों नहीं?

अमेरिका जैसे देशों में टैक्स देने वालों को सोशल सिक्योरिटी मिलती है।
नौकरी जाने पर बेरोज़गारी भत्ता मिलता है।
जब तक नई नौकरी नहीं मिलती, तब तक सरकार उसका साथ देती है।

लेकिन भारत में व्यवस्था बस एक ही है —
“आने दो” सिस्टम।
कमाओ, टैक्स दो और चुपचाप सब सहते रहो।

विडंबना देखिए —

जो इनकम टैक्स नहीं देते,
उन्हें मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त बस यात्रा,
मुफ्त राशन,
और “लाडली बहन” जैसी अनेकों योजनाओं का लाभ मिलता है।

और जो टैक्स देता है?
उसके हिस्से में सिर्फ चुप्पी आती है।

Self-employed की हालत और भी बदतर है

छोटा-मोटा व्यवसाय करने वाला व्यक्ति —
जो पूरी ज़िंदगी GST, इनकम टैक्स, लाइसेंस फीस, जुर्माने भरता है —
वह काग़ज़ों में “Self Employed” कहलाता है,
पर हकीकत में वह Self-Exploited होता है।

न पेंशन।
न बेरोज़गारी भत्ता।
न स्वास्थ्य सुरक्षा।

कोरोना काल में सबसे ज़्यादा मार इन्हीं लोगों पर पड़ी।
दुकानें बंद रहीं, काम ठप रहा,
लेकिन टैक्स, EMI और सरकारी औपचारिकताएँ चलती रहीं।

सबसे दर्दनाक सच

मेरे और आप जैसे स्वाभिमानी लोगों को
भीख माँगना भी नहीं आता।

हम न लाइन में खड़े होकर मुफ्त राशन माँग सकते हैं,
न किसी योजना का लाभ उठाने के लिए झूठे प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं।

हम बस चुपचाप टूटते हैं।
अंदर ही अंदर।

नतीजा?

यहाँ मेहनत करने वाले शर्मिंदा हैं,
और बिना योगदान दिए मज़े करने वाले सम्मानित।

यह व्यवस्था मेहनत को नहीं,
निर्भरता को बढ़ावा देती है।

जब तक टैक्स देने वालों के लिए
बेरोज़गारी सुरक्षा, स्वास्थ्य कवर और सम्मानजनक सहारा नहीं होगा,
तब तक “विकसित भारत” सिर्फ एक नारा ही रहेगा।

क्योंकि देश सिर्फ मुफ्त योजनाओं से नहीं,
ईमानदार करदाताओं के सम्मान से आगे बढ़ता है।

— नंदू indian (Nandu roy) के कलम से

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