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राजस्व न्यायालयों में लंबित प्रकरणों का त्वरित निराकरण सर्वोच्च प्राथमिकता - कलेक्टर

राजस्व न्यायालयों में लंबित प्रकरणों का त्वरित निराकरण सर्वोच्च प्राथमिकता – कलेक्टर

तीन माह से अधिक लंबित नामान्तरण, बटवारा एवं सीमांकन के प्रकरण शत-प्रतिशत निराकृत हों

स्वामित्व योजना में गंभीर लापरवाही पर कीचौल के पटवारी निलंबित

तीन माह से अधिक लंबित नामान्तरण प्रकरणों में 3 तहसीलदारों को कारण बताओ नोटिस

कलेक्टर की अध्यक्षता में राजस्व अधिकारियों की मैराथन बैठक पहली बार लगातार 6 घंटे चली, दिए सख्त निर्देश

कलेक्टर श्री लोकेश कुमार जांगिड़ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि राजस्व न्यायालयों में लंबित राजस्व प्रकरणों का निराकरण उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। विशेषकर नामान्तरण, बटवारा एवं सीमांकन के ऐसे सभी प्रकरण जो तीन माह से अधिक समय से लंबित हैं, उनका शत-प्रतिशत निराकरण सुनिश्चित किया जाए। इसी उद्देश्य से शनिवार को कलेक्ट्रेट सभागार मुरैना में कलेक्टर की अध्यक्षता में राजस्व अधिकारियों की मैराथन समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जो लगातार 6 घंटे तक चली और रात 10 बजे के बाद जाकर समाप्त हुई। यह जिले में पहली बार है जब राजस्व अधिकारियों की बैठक इतनी लंबी अवधि तक चली।

बैठक के दौरान स्वामित्व योजना की समीक्षा में यह सामने आया कि ग्राम कीचौल के पटवारी श्री केशव सिंह जरसेनिया द्वारा दो वर्षों तक नक्शा प्राप्ति की सूचना संबंधित हितग्राहियों को नहीं दी गई। इस गंभीर लापरवाही पर कलेक्टर ने पटवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश दिए।

बैठक में अपर कलेक्टर श्री अश्विनी कुमार रावत, समस्त एसडीएम, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार उपस्थित रहे।

कलेक्टर श्री जांगिड़ ने नामान्तरण प्रकरणों की समीक्षा करते हुए कहा कि तीन माह से अधिक कोई भी नामान्तरण प्रकरण लंबित नहीं रहना चाहिए। समीक्षा में तहसीलदार श्री भारतेन्दु सिद्धार्थ गौतम के 26, तहसीलदार श्री प्रमोद तोमर के 82 एवं तहसीलदार श्री सीताराम वर्मा के 35 नामान्तरण प्रकरण तीन माह से अधिक समय से लंबित पाए गए। इस पर कलेक्टर ने तीनों तहसीलदारों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आगामी 03 जनवरी को आयोजित होने वाली राजस्व अधिकारियों की बैठक तक कम से कम 95 प्रतिशत नामान्तरण प्रकरणों का निराकरण सुनिश्चित किया जाए।

बटवारा प्रकरणों की समीक्षा में तहसीलदार श्री सीताराम वर्मा की प्रगति 70.59 प्रतिशत पाए जाने पर कलेक्टर ने असंतोष व्यक्त किया और निर्देश दिए कि बटवारा प्रकरणों में भी 80 से 90 प्रतिशत तक निराकरण अनिवार्य रूप से किया जाए।

कलेक्टर ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में राजस्व एवं पुलिस के आपसी समन्वय पर विशेष बल देते हुए कहा कि जहां भी अतिक्रमण हटाया जाना हो, वहां पहले से पुलिस को सूचना दी जाए। शांति भंग करने की आशंका वाले व्यक्तियों पर धारा 151 के तहत कार्रवाई की जाए तथा ऐसी ठोस तैयारी की जाए कि अतिक्रमण दोबारा न हो।

नगर निगम एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित हो रही नवीन कॉलोनियों की समीक्षा करते हुए कलेक्टर ने एसडीएम को निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि कॉलोनाइजर के पास वैध लाइसेंस, स्वीकृत ले-आउट एवं टीएसओ उपलब्ध हो। साथ ही जो कॉलोनियां विकसित हो चुकी हैं, उनमें सड़क, बिजली एवं पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कॉलोनाइजर पर दबाव बनाया जाए।

उन्होंने फोती नामान्तरण प्रकरणों में अनावश्यक रूप से लोगों को परेशान न करने के निर्देश देते हुए कहा कि मृत्यु प्रमाण-पत्र का डेटा सर्टिफिकेट पर्याप्त माना जाए। आपसी पत्राचार के बजाय टेलीफोन के माध्यम से भी समस्याओं का त्वरित समाधान निकालने पर बल दिया गया।

कलेक्टर ने टीएल पत्रों की समीक्षा करते हुए कहा कि उनके समय-सीमा में निराकरण की जिम्मेदारी केवल एसडीएम की नहीं, बल्कि संबंधित तहसीलदार की भी समान रूप से है। उन्होंने समय-सीमा समाप्त हो चुके टीएल प्रकरणों के शीघ्र निराकरण के निर्देश दिए तथा टीएल मार्क पत्रों में भौतिक सत्यापन को अनिवार्य बताया।

सीमांकन, अभिलेख दुरुस्ती, पीएम किसान सम्मान निधि, फार्मर रजिस्ट्री, स्वामित्व योजना, मजरा-टोला अपडेट, राजस्व वसूली, सीएम हेल्पलाइन एवं सीएम मॉनिट के प्रकरणों की विस्तृत समीक्षा करते हुए कलेक्टर ने कहा कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कार्य में शिथिलता पाए जाने पर संबंधित पटवारियों एवं अधिकारियों के विरुद्ध सख़्त कार्रवाई की जाएगी।

राजस्व वसूली की समीक्षा में कलेक्टर ने बताया कि जिले में वर्तमान में राजस्व वसूली की प्रगति मात्र 12.13 प्रतिशत है, जो अत्यंत कम है। उन्होंने राजस्व वसूली में तेजी लाने के निर्देश देते हुए कहा कि अब इसकी पाक्षिक समीक्षा टीएल बैठक में की जाएगी।
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