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KGBV कर्मियों के साथ अन्याय कब तक? वेतन वृद्धि, नियमितीकरण और सम्मानजनक सेवा-शर्तों की मांग तेज

पटना/मुजफ्फरपुर।
राज्य में बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा के लिए संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय (KGBV) में कार्यरत कर्मियों के साथ वर्षों से हो रहे अन्याय का मुद्दा अब सरकार के उच्च स्तर तक पहुंच गया है। बिहार विधान परिषद सदस्य वशीधर ब्रजवासी ने इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर KGBV की वार्डन-सह-शिक्षिकाओं, अंशकालिक शिक्षिकाओं, लेखापालों, आदेशपालों, रात्रि प्रहरियों, रसोइयों सहित सभी दैनिक कर्मियों की वेतन वृद्धि, सेवा-शर्तों में सुधार और नियमितीकरण की मांग की है।

पत्र में स्पष्ट किया गया है कि कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय राज्य की गरीब, वंचित और पिछड़े वर्ग की बालिकाओं के लिए शिक्षा के साथ-साथ आवासन, भोजन, सुरक्षा और अनुशासन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इन विद्यालयों का संपूर्ण संचालन इन्हीं कर्मियों पर निर्भर है, जो 24×7 विद्यालय परिसर में रहकर सेवाएं दे रहे हैं। इसके बावजूद इन्हें न तो स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया गया है और न ही भविष्य को सुरक्षित करने वाली कोई ठोस व्यवस्था की गई है।

💥:कम मानदेय में अधिक कार्य का बोझ
पत्र में यह भी उल्लेख है कि बढ़ती महंगाई के इस दौर में KGBV कर्मियों को मात्र 15,700 रुपये से लेकर अधिकतम 45,000 रुपये तक का मानदेय दिया जा रहा है। न कोई नियमित वेतनमान है, न पेंशन, न बीमा और न ही अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ। कई कर्मी वर्षों से संविदा पर कार्यरत हैं, जिससे उनके भविष्य को लेकर असुरक्षा और मानसिक तनाव बना रहता है।

💥अवकाश और सुविधाओं में भेदभाव
एक ओर सामान्य विद्यालयों में शिक्षकों और कर्मियों को ग्रीष्मकालीन अवकाश 20 से 24 दिनों तक मिलता है, वहीं KGBV कर्मियों को केवल 14–15 दिनों का ही अवकाश दिया जाता है। आवासीय विद्यालय होने के कारण ये कर्मी अपने परिवार से दूर रहकर काम करने को मजबूर हैं, फिर भी उनकी सुविधाओं पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

💥मुख्यमंत्री के पुराने निर्णयों का हवाला
वशीधर ब्रजवासी ने अपने पत्र में यह भी स्मरण कराया है कि माननीय मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों के नियमितीकरण और वेतन वृद्धि को लेकर ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं। उसी भावना के अनुरूप KGBV कर्मियों के साथ भी न्याय किया जाना चाहिए, ताकि वे बिना भविष्य की चिंता किए पूरी निष्ठा से बालिकाओं की सेवा कर सकें।

💥मुख्यमंत्री सचिवालय ने लिया संज्ञान
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री सचिवालय ने शिक्षा विभाग को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। सचिवालय ने कहा है कि पत्र में उल्लिखित तथ्यों के आलोक में नियमानुसार जांच कर उचित निर्णय लिया जाए और की गई कार्रवाई की सूचना माननीय विधान पार्षद को भी उपलब्ध कराई जाए।

💥कर्मियों में जगी उम्मीद
KGBV में कार्यरत कर्मियों का कहना है कि वे सरकार की ‘बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजनाओं को जमीन पर सफल बना रहे हैं, लेकिन स्वयं उपेक्षा के शिकार हैं। उनका मानना है कि यदि सरकार उनकी सेवा-शर्तों में सुधार कर नियमित वेतनमान और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है, तो इसका सीधा लाभ बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा व्यवस्था पर भी पड़ेगा।

💥अब टिकी हैं निगाहें सरकार पर
अब सभी की निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं। सवाल यह है कि क्या वर्षों से सेवा दे रहे KGBV कर्मियों को भी वह न्याय और सम्मान मिलेगा, जिसके वे हकदार हैं, या फिर यह मामला भी फाइलों तक ही सीमित रह जाएगा।

KGBV कर्मियों को उम्मीद है कि माननीय मुख्यमंत्री उनके दर्द और संघर्ष को समझते हुए शीघ्र कोई ठोस और सकारात्मक निर्णय लेंगे।

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