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स्कूलों, कॉलेजों व पंचायती राज चुनावों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने की मांग, पूरणसिंह काबावत ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

राजस्थान आकोली (दलपतसिंह भायल )
राजस्थान में आगामी पंचायती राज चुनावों तथा स्कूल–कॉलेजों में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर राजपूत समाज के जागरूक युवा पूरणसिंह काबावत (आकोली) ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर शीघ्र निर्णय लेने का आग्रह किया है।

काबावत ने पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 9 जनवरी 2019 को आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्ग के लिए 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था, जिससे देशभर में खुशी की लहर दौड़ गई थी। लेकिन इस निर्णय को लागू हुए लगभग आठ वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ सभी क्षेत्रों में नहीं मिल पा रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है।

उन्होंने बताया कि अन्य आरक्षित वर्गों के विद्यार्थियों व लोगों को शिक्षा, छात्रवृत्ति और पंचायती राज चुनावों में आरक्षण का लाभ मिल रहा है, जबकि ईडब्ल्यूएस वर्ग के विद्यार्थियों को न तो स्कूलों और कॉलेजों में छात्रवृत्ति मिल पा रही है और न ही पंचायत राज संस्थाओं में प्रतिनिधित्व का अवसर। यह आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्ग के साथ भेदभाव के समान है।

काबावत ने कहा कि “थाली में रोटी परोसने के बाद एक बच्चे को खाना देना और दूसरे को वंचित रखना, यह कैसी मानवता है?” ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू न होने के कारण विद्यार्थियों का भविष्य और पंचायत राज में प्रतिनिधित्व का अधिकार प्रभावित हो रहा है, जो उनके साथ अन्याय है।

पत्र के माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री से क्रमबद्ध निवेदन किया कि पंचायती राज चुनावों, स्कूलों, कॉलेजों सहित सभी क्षेत्रों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने के लिए तत्काल अधिसूचना जारी की जाए, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा, छात्रवृत्ति व प्रतिनिधित्व का वास्तविक लाभ मिल सके।

काबावत ने यह भी कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लेकर समाज के भीतर भी आत्ममंथन की आवश्यकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ जनप्रतिनिधियों और संगठनों की निष्क्रियता के कारण यह मुद्दा प्रभावी रूप से नहीं उठ पाया, जिसका खामियाजा समाज के बच्चे पिछले आठ वर्षों से भुगत रहे हैं।

अंत में उन्होंने आह्वान किया कि गौरवपूर्ण इतिहास के गुणगान के साथ-साथ अब समय है कलम से नया इतिहास रचने का। इसके लिए समाज के रिटायर्ड अधिकारी, कर्मचारी, नेता और संगठन आगे आएं, हर जिले में कोचिंग सेंटर खुलवाएं और बच्चों को बेहतर शैक्षणिक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएं। उन्होंने सभी क्षत्रिय संगठनों, राजपूत नेताओं और युवाओं से इस मुद्दे को व्यापक स्तर पर जोर-शोर से उठाने की अपील की।

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