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अथोला गाँव (दादरा और नगर हवेली) की रहने वाली डॉ. डीम्पल सुमन पारधी ने गुजरात विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त कर क्षेत्र की पहली

अथोला गाँव (दादरा और नगर हवेली) की रहने वाली डॉ. डीम्पल सुमन पारधी ने गुजरात विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त कर क्षेत्र की पहली अनुसूचित जनजाति युवती के रूप में इतिहास रच दिया है।�मुख्य उपलब्धि डॉ. डीम्पल सुमन पारधी ने गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद से पीएच.डी. पूरी की है और वे अथोला सहित पूरे दादरा‑नगर हवेली के आदिवासी समाज के लिए गर्व का विषय बनी हैं।�उनके शोधकार्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनारों व जर्नलों में स्थान मिला है, जिससे स्थानीय समुदाय की पहचान को नई मजबूती मिली है।�परिवार और प्रेरणा डॉ. डीम्पल सुमन पारधी, अथोला गाँव के वरली आदिवासी परिवार से हैं और बचपन से ही कठिन परिस्थितियों के बावजूद शिक्षा को प्राथमिकता देती रही हैं।�माता‑पिता और गाँव के शिक्षकों के सहयोग से उन्होंने स्कूल से लेकर कॉलेज तक लगातार अच्छे परिणाम प्राप्त किए और उच्च शिक्षा का लक्ष्य तय किया।�सामाजिक योगदान डॉ. डीम्पल सुमन पारधी विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेकर आदिवासी समाज के मुद्दों पर शोध‑पत्र प्रस्तुत करती हैं और युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करती हैं।�वे समय‑समय पर गाँव में लौटकर छात्र‑छात्राओं के लिए मार्गदर्शन सत्र आयोजित करती हैं, जिससे कई बच्चों में प्रतियोगी परीक्षाओं और रिसर्च के प्रति रुचि बढ़ी है।�भविष्य की योजना डॉ. डिम्पल पारधी आगे भी शोध और अध्यापन के माध्यम से आदिवासी समाज के विकास पर काम करना चाहती हैं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुँच बढ़ाने का संकल्प रखती हैं।�उनका कहना है कि यदि संकल्प मजबूत हो तो गाँव से निकलकर भी विश्वस्तर पर पहचान बनाई जा सकती है, और वे इसी संदेश को सोशल मीडिया और जनसम्पर्क के माध्यम से फैलाने में लगी हैं।�

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