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पुलिस पुलिस में सबसे जरूरी है सुनना। तभी तो कुछ समझ में आयेगा, कुछ किया जा सकेगा।

चंडीगढ़: कायदे से किसी पीड़ित व्यक्ति को थाने से ऊपर आना ही नहीं चाहिए। अगर ऐसा होता है तो उसे वापस उन्हीं को परोसने का कोई मतलब नहीं है। उपहास करेंगे कि आ गए? पता चल गया असली पॉवर किसके पास है? पानी तो इसी पूल के नीचे से गुजरेगा। इत्यादि-इत्यादि।

जिनके पास ताक़त होती है, उन्हें बड़ी कॉमेडी सूझती है।

मैं ज़िला पुलिस प्रमुख से वीडियो कांफ्रेंस से उनकी बात करा देता हुँ इस हिदायत के साथ कि इनकी बात को स्वयं देख लें और जो ठीक लगे सो कर दें। किसी सूरत में फिर से नीचे ‘मार्क’ ना करें।

पब्लिक डीलिंग एक हुनर है। SHO और चौकी इंचार्ज को सिखायें। जिन्हें ठीक से पेश आने में परेशानी है उन्हें पब्लिक डीलिंग वाले जगह से फौरन विदा करें।

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