logo

रोजगार से आत्मनिर्भरता की ओर जिले में मनरेगा से स्थायी आजीविका को मिल रहा नया आधार



एमसीबी/14 दिसंबर 2025/ जिले में ग्रामीण विकास को नई दिशा देते हुए जिला प्रशासन द्वारा रोजगार के साथ-साथ स्थायी आजीविका सृजन पर विशेष फोकस किया जा रहा है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत अधिक से अधिक ग्रामीण परिवारों को न केवल तात्कालिक रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है, बल्कि उन्हें दीर्घकालिक आय के साधनों से जोड़ने के ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। यही कारण है कि वर्तमान में जिले में बड़े पैमाने पर रोजगारमूलक एवं आजीविका आधारित कार्यों की स्वीकृति प्रदान की गई है।
दिसंबर माह में मनरेगा अंतर्गत रोजगार सृजन को गति देने के लिए जिले की तीनों जनपद पंचायतों में महत्वपूर्ण वित्तीय स्वीकृतियां जारी की गई हैं। जनपद पंचायत खड़गवां को 3 करोड़ रुपये, मनेंद्रगढ़ को 3.26 करोड़ रुपये तथा भरतपुर को 6.95 करोड़ रुपये के नए रोजगारमूलक कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। इन कार्यों से हजारों मनरेगा जॉब कार्डधारी परिवारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार प्राप्त होगा।
राज्य शासन की मंशा के अनुरूप जिले में आजीविका डबरी निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है। इसका उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को रोजगार के साथ-साथ मत्स्य पालन जैसे स्थायी आजीविका के साधनों से जोड़ना है। जिले में 1000 से अधिक नवीन आजीविका डबरी निर्माण का प्रारंभिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिनमें से अब तक 164 से अधिक डबरी निर्माण कार्यों को स्वीकृति दी जा चुकी है। इन डबरियों के साथ हितग्राहियों द्वारा फलदार पौधों का रोपण भी कराया जा रहा है, जिससे भविष्य में अतिरिक्त आय के अवसर सृजित होंगे।
मुख्यमंत्री के विजन को आगे बढ़ाते हुए अधिकारियों ने बताया कि “मनरेगा को केवल मजदूरी योजना के रूप में नहीं, बल्कि ग्रामीण आत्मनिर्भरता का सशक्त माध्यम बनाया जा रहा है।” वहीं कलेक्टर ने कहा कि “जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत में पर्याप्त रोजगार मूलक कार्य उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है, ताकि कोई भी पात्र परिवार रोजगार से वंचित न रहे और उसे स्थायी आजीविका का अवसर मिल सके।”
प्रदेश स्तर पर संचालित “मोर गांव मोर पानी” महाअभियान के अंतर्गत जिले में जल संरक्षण एवं भू-जल संवर्धन के लिए व्यापक कार्य किए जा रहे हैं। मनरेगा के माध्यम से तालाब निर्माण एवं गहरीकरण, डबरी निर्माण, परकोलेशन टैंक, लूज बोल्डर चेक, गेबियन संरचनाएं, अर्दन चेक, गली प्लग, हिल स्लोप ट्रीटमेंट, कंटूर ट्रेंच, डब्ल्यूएटी, 5 प्रतिशत एवं 30रू40 मॉडल जैसे कार्य कराए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त डिफेक्ट बोरवेल रिचार्ज तथा सामुदायिक एवं व्यक्तिगत आजीविका गतिविधियों जैसे मुर्गी, बकरी एवं पशु पालन शेड का निर्माण भी किया जा रहा है। साथ ही जिले में पूर्व से स्वीकृत अधूरे कार्यों को शीघ्र पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत में रोजगार मूलक कार्यों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है, जिससे मनरेगा पंजीकृत जॉब कार्डधारी परिवार कार्य की मांग करने पर 15 दिवस के भीतर रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।
कुल मिलाकर जिले में मनरेगा के माध्यम से रोजगार, जल संरक्षण और स्थायी आजीविका का यह समन्वित प्रयास ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम साबित हो रहा है।

9
697 views