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केवल नाम के लिए पहचान बनाने वाले अंतर्राष्ट्रीय एयर पोर्ट कुशीनगर से उड़ान की मिल रही आहट.....

बौद्ध सर्किट की वैश्विक पहचान रखने वाला कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट अब एक बार फिर उम्मीदों के केंद्र में है। इस एयरपोर्ट के लिए 2026 निर्णायक वर्ष माना जा रहा है। तकनीकी तैयारी पूरी है, इंडिगो सहित कई एयरलाइंस से घरेलू रूट पर उड़ान की उम्मीद जगी है और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध पर्यटन के चलते विदेशी सेवाओं की संभावना भी बन रही है। वर्षों के इंतजार, असफल शुरुआती प्रयासों और ठप पड़ी सेवाओं के बाद वर्ष 2026 को वह संभावित मोड़ माना जा रहा है, जब कुशीनगर से नियमित घरेलू उड़ानों के साथ-साथ सीमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी शुरू हो सकती हैं।
सबसे अहम बात यह है कि इस बार चर्चा सिर्फ सरकारी फाइलों तक सीमित नहीं है, बल्कि इंडिगो सहित कई एयरलाइंस के स्तर पर कुछ रूटों को लेकर प्रारंभिक रुचि जताए जाने की जानकारी सामने आ रही है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एआईआई) के मुताबिक कुशीनगर एयरपोर्ट अब तकनीकी रूप से पूरी तरह सक्षम है। ऑल-वेदर ऑपरेशन की अनुमति, नेविगेशन सिस्टम, रनवे और टर्मिनल की तैयारियों के बाद अब वह बाधा खत्म हो चुकी है, जिसे पहले उड़ानों के ठप होने की बड़ी वजह माना जा रही थी।
वहीं, सरकारी और पर्यटन विभाग के सूत्रों का कहना है कि 2026 तक बौद्ध सर्किट को एकीकृत पैकेज के रूप में पेश करने की योजना है। बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर और नेपाल के लुंबिनी को जोड़ने वाला यह नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है। यदि ऐसा होता है, तो कुशीनगर एयरपोर्ट केवल स्थानीय यात्रियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि विदेशी बौद्ध श्रद्धालुओं का प्रमुख प्रवेश द्वार बन सकता है।
इन चार सेक्टर के लिए मिल चुकी है हरी झंडी : आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इंडिगो, स्पाइसजेट और कुछ क्षेत्रीय एयरलाइंस ने कुशीनगर को संभावित नेटवर्क में शामिल करने को लेकर आंतरिक स्तर पर आकलन किया है।

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