इंसाफ़ की कुर्सी पर बैठा दोहरा मापदंड
बहराइच हिंसा के दोषी सरफराज को फांसी की सज़ा मिली
इंसाफ़ की कुर्सी पर बैठा दोहरा मापदंड
बहराइच हिंसा के दोषी सरफराज को फांसी की सज़ा मिली — बहुत अच्छा।
मुजरिम है तो सज़ा मिलनी चाहिए, इसमें कोई बहस नहीं।
लेकिन अब भारत का ज़मीर एक और सवाल पूछ रहा है — और वह सवाल नारा नहीं، आइना है।
ट्रेन में चार लोगों को गोलियों से छलनी करने वाला चेतन शर्मा
कब फांसी चढ़ेगा؟
31 जुलाई 2023।
चलती ट्रेन۔
वर्दी में बैठा RPF जवान।
सरकारी बंदूक۔or
चार लाशें۔
और देश से कहा गया: “मानसिक बीमारी”۔
He वाह!
अगर यही काम कोई आम नागरिक करता, तो क्या उसे भी
“इलाज” और “हमदर्दी” मिलती?
क्या वर्दी अपराध को हल्का कर देती है?
सरफराज = फांसी
चेतन शर्मा = बहस، दलील، सहानुभूति
क्यों?
क्योंकि एक के पास वर्दी है؟
क्योंकि दूसरा सिस्टम के बाहर है?
अगर कानून सच में अंधा है,
तो फिर ये फर्क क्यों?