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शीर्षक:-, 🌿 भाग–3 : भूमि आंवला प्रयोग-विधि सिद्ध पंचांग



शीर्षक:-,
🌿 भाग–3 : भूमि आंवला प्रयोग-विधि सिद्ध पंचांग
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(१)
पंचांग समग्र लेकर, शुद्ध जल संग उबाले,
दो भाग शेष रहे जब, गुण तब पूर्ण सम्हाले।
काढ़ा यह यकृत-रक्षक, पथरी-पीड़ा हरे,
प्रातः-सायं सीमित मात्रा, रोग-शमन करे।

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(२)
पत्ती-तना का स्वरस, ताज़ा पीस निकाले,
खाली पेट अल्प मात्रा, पाचन-पथ संभाले।
अम्लता, गैस, दाह शमे, रक्त-पित्त सुधरे,
नियमित सेवन से देह, सहज स्वास्थ्य धरे।

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(३)
छाया-सुखा चूर्ण बने, पंचांग समभाव,
गुनगुने जल संग सेवन, बढ़े औषधि प्रभाव।
मूत्र-पथ, त्वचा, शर्करा, सब पर करे उपकार,
मित-आहार संग साधना, दे दीर्घ परिणाम।

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(४)
स्नान-योग में पंचांग, उबला जल उपयोग,
त्वचा-दाह, पित्त-विकार, शीतल करे निरोग।
प्रकृति का यह विधान, वैद्य-विज्ञान समान,
भूमि आँवला बने पथ, आरोग्य का प्रमाण।

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🧪 मात्रा व विधि (Practical Guide)

🌿 काढ़ा

पंचांग 10–12 ग्राम (या 1 मुट्ठी ताज़ा)

पानी 2 कप → उबालें → 1 कप शेष

मात्रा: 20–30 ml, दिन में 1–2 बार


🌿 स्वरस (रस)

ताज़ी पत्तियाँ/तना पीसकर

मात्रा: 5–10 ml, सुबह खाली पेट


🌿 चूर्ण

छाया-सुखा पंचांग पीसें

मात्रा: 2–3 ग्राम, गुनगुने जल/मधु संग



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⚠️ सावधानी

गर्भावस्था/स्तनपान में न लें

अत्यधिक मात्रा से बचें

दीर्घ रोग में वैद्य/डॉक्टर परामर्श आवश्यक


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डिस्क्लेमर:-

यह रचना कवि 🖌️🖌️ सुरेश पटेल सुरेश की मौलिक छंद-शैली कृति है;
इसके भाव, विचार एवं प्रस्तुति पूर्णत: लेखक के स्वत्वाधिकार में सुरक्षित हैं।
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