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विद्युत विभाग महाप्रबंधक उपभोक्ता आयोग में तलब, 18 दिसंबर तक स्मार्ट मीटर पर स्टे आवेदन का देना होगा

विद्युत विभाग महाप्रबंधक उपभोक्ता आयोग में तलब, 18 दिसंबर तक स्मार्ट मीटर पर स्टे आवेदन का देना होगा जवाब

बिजली काटने की धमकियों देकर जबरिया स्मार्ट मीटर लगाने के प्रयास से क्षुब्ध राकेश मिश्रा ने अपने अधिवक्ता डॉ. पुष्पराग के माध्यम से स्मार्ट मीटर पर रोक व 5 लाख की क्षतिपूर्ति का दावा ठोका। आयोग ने विद्युत विभाग को किया तलब।*

(मूल आवेदन के तथ्य व निम्नानुसार हैं)

1. यहकि आवेदक पिछले अनेक वर्षों से अना. गण के पोस्ट-पेड बिजली कनेक्शन नं. एन 2419001242 से उपभोक्ता हैं और सभी बिल समय पर जमा करता रहा है। इस प्रकार से आवेदक अना. गण का उपभोक्ता है।

2. यहकि नबम्वर माह में अना. के कर्मचारी आवेदक के निवास पर मौजूदा कार्यशील इलेक्ट्रो-मैकेनिकल / पोस्ट-पेड मीटर को जबरन हटाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने आए जिस पर आवेदक ने इन्कार किया तो वे विजली काटने की धमकी देने लगे। पडौसियों ने दबाब बना कर जैसे तैसे अना. के प्रतिनिधियों को बापस किया।

3. यहकि इस प्रकार अना. गण द्वारा मौजूदा कार्यशील इलेक्ट्रो-मैकेनिकल / पोस्ट-पेड मीटर को जबरन हटाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने से इनकार करने पर बिजली कनेक्शन काटने की धमकी दी जा रही है। जबकि यह कार्य पूर्ण रूप से अवैध, असंवैधानिक एवं न्यायिक आदेशों का उल्लंघन है। जिसके कारण निम्न हैं:

क. विद्युत अधिनियम, 2003 का स्पष्ट उल्लंघन
धारा 55 (1) के प्रावधानों के अनुसार स्मार्ट/प्रीपेड मीटर केवल उपभोक्ता की लिखित सहमति से या नए कनेक्शन के मामले में ही लगाया जा सकता है। कार्यशील पुराने मीटर को बिना सहमति बदलना गैर-कानूनी है। स्मार्ट मीटर से इनकार करने पर धारा 56 (1) के तहत बिजली काटना इसका दुरुपयोग है। सर्वोच्च न्यायालय ने M/s Southern Electricity vs- M- Ramakrishna (2017) 3 SCC 525 में स्पष्ट कहा है कि धारा 56 (1) का उपयोग केवल बकाया वसूली के लिए ही हो सकता है, किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं।

ख. निजता के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन
स्मार्ट मीटर हर 15-30 मिनट में बिजली खपती रिकॉर्ड 4 कर सर्वर पर भेजता है, जिससे घर के अंदर की निजी जिंदगी का पता चलता है। बिना लिखित सहमति के यह निगरानी सर्वोच्च न्यायालय के K-S-Puttaswamy (Privacy) मामले (2017) 10 SCC 1 के विरुद्ध है।

ग. उच्च न्यायालयों के बंधनकारी आदेश (2023-2025) निम्नलिखित उच्च न्यायालयों ने स्पष्ट आदेश दिया है कि स्मार्ट मीटर जबरन नहीं थोपा जा सकता और इनकार करने पर बिजली नहीं काटी जा सकतीः

ए. बंबई उच्च न्यायालय WP 14711/2022 एवं अन्य (आदेश दिनांक 20.02.2023 एवं 08.05.2024)

बी. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय-CWP&15224&2023 (12.01 2024)

सी. राजस्थान उच्च न्यायालय 2024) SBCWP 16438/2023 (03.09.

डी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय PIL 242/2024 (15.10.2024)

ई. गुजरात उच्च न्यायालय SCA 1842/2024 (22.08.2024)

सभी आदेशों में एकमत :
"No Coercion, No Disconnection for refusal of smart meter"

घ. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन
जबरन प्रीपेड थोपना धारा 2(47) के अंतर्गत अनुचित व्यापार प्रथा है। उपभोक्ता को सेवा चुनने का अधिकार धारा 2(9) में है।

ङ. मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के Petition No-73/2023 के आदेश दिनांक 7 मार्च 2024 में अपने 156 पेजों के ऑर्डर में स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि Electricity Act 2003 की धारा 47(5) स्मार्ट / प्री-पेड को अनिवार्य नहीं बनाती। जबरदस्ती स्मार्ट मीटरइंस्टॉलेशन गैर कानूनी। उपभोक्ता को सही और सटीक मीटर मिलना चाहिए यह उनका अटूट अधिकार है। उपभोक्ता को मीटर चयन का अधिकार है। स्मार्ट मीटर खरीदी पर कंपनी पर लगभग 500-600 करोड़ रुपये खर्च आया है लेकिन उपभोक्ताओं पर इसका अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जा सकता। उपभोक्ता पर प्री-पेड मीटर जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता।

य. स्वास्थ्य जोखिम स्मार्ट मीटर से निकलने वाला RF रेडिएशन WHO द्वारा Class 2B (संभावित कैंसरजनक) घोषित है। आवेदक स्वास्थ्य कारणों से भी इससे इनकार करता है।

4. यहकि आवेदक ने अना. गण को विगत दि. 20/11/2022 को इसी आशय का एक नोटिस भी अपने अधिवक्ता के माध्यम से भिजबाया कि अना. आवेदक के घर पर जबरिया स्मार्ट मीटर लगाने से विरत रहे आवेदक ने नोटिस में मॉग की थी कि आवेदक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाने से स्पष्ट रूप से इनकार करता है। आप तत्काल जबरदस्ती एवं बिजली काटने की सभी धमकियाँ देना बंद करें। मौजूदा मीटर से ही बिलिंग जारी रखें। स्मार्ट मीटर से संबंधित किसी भी आधार पर बिजली काटने से पूर्णतः परहेज करें। यदि आप बिजली काटते हैं या जबरन मीटर बदलते हैं तो आवेदक को कानूनी कार्यवाही करने पर विचार करने को बाध्य होना पड़ेगा जिसके सारे हर्जे खर्चे की जिम्मेदारी आप अना.गण की होगी।

5. यहकि इसके बाद भी अभी 8 दिसम्बर 2025 को पुनः अना. के कर्मचारी आवेदक के निवास पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने आ गये मित्रों ने दबाब बना कर जैसे तैसे अना. के प्रतिनिधियों को बापस किया।

6. यहकि आवेदक द्वारा स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाने से स्पष्ट रूप से इनकार करने के बाद भी अना. गण द्वारा जबरदस्ती एवं बिजली काटने की धमकियाँ देना अवैध, असंवैधानिक, न्यायिक आदेशों के उल्लंघनयुक्त, लापरवाही एवं भूल गलती के कारण आवेदक अनावश्यक परेशान हो रहा है। आवेदक अना. का उपभोक्ता है। अना. के किसी अनुचित कृत्य से आवेदक परेशान न हो यह आवेदक का उपभोक्ता अधिकार है। उक्त कृत्य अना. की आवेदक के प्रति सेवा में कमी तो है ही अनुचित व्यापार प्रथा की श्रेणीं में भी आता है। आवेदक को अनावेदकगण द्वारा जबरिया कर कार्यवाही रूकबाने, एवं बिजली काटने की स्मार्ट मीटर लगाने धमकियों से संरक्षण का आवेदक को पूर्ण वैधानिक अधिकार प्राप्त है।

अस्तु निवेदन है कि अना, गण को आदेशित करने की कृपा करें कि वह आवेदक के निवास पर जबरिया स्मार्ट मीटर लगाने से विरत रहे, बिजली काटने की धमकियों न दे आवेदक को हुई परेशानी की क्षतिपूर्ती 450000/- रू. तथा वाद व्यय 20000/- रू. व 20000/- रू. अधिवक्ता शुल्क अदा करे।

प्रार्थी
राकेश मिश्रा.. आवेदक

द्वारा -डॉ. पुष्पराग शर्मा,

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