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रिखणीखाल ब्लॉक में रहस्यमयी जानवर का आतंक, लेकूली रिवा और आसपास के गांव दहशत में


रिखणीखाल ब्लॉक क्षेत्र में बीते कई हफ्तों से जंगली जानवरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। लेकूली, रिवा सहित आसपास के गांवों में एक रहस्यमयी जानवर रात के अंधेरे में गौशालाओं को तोड़कर मवेशियों को निवाला बना रहा है। ग्रामीणों में दहशत का माहौल है क्योंकि यह जानवर अब तक कई गायों और बकरियों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार चुका है।

ग्रामीणों के अनुसार यह रहस्यमयी जानवर गौशाला की लकड़ी की दीवारें और छप्पर तक तोड़ देता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हमलावर जानवर गुलदार या बाघ की तरह गले पर वार नहीं करता, बल्कि सीधे मवेशियों के ऊपरी हिस्से पर हमला कर उन्हें मार देता है। इसी वजह से लोग इसकी पहचान को लेकर उलझन में हैं।

कुछ ग्रामीण इसे ‘चरक’ (स्थानीय भाषा में किसी हिंसक जंगली जीव के लिए प्रयुक्त शब्द) बता रहे हैं, जबकि कई लोग भालू होने की आशंका जता रहे हैं। हालांकि भालू द्वारा मवेशियों पर इस तरह के हमले की संभावना कम मानी जाती है। गुलदार द्वारा भी गौशाला तोड़ने की घटनाएं कम ही देखने को मिलती हैं, जिसके चलते क्षेत्र में रहस्य और भय दोनों बढ़ते जा रहे हैं।

स्थानीय निवासी बताते हैं कि पिछले दिनों इस रहस्यमयी जानवर ने कई घरों के पास स्थित गौशालाओं को निशाना बनाया। कई ग्रामीणों के मवेशी बेमौत मारे जा चुके हैं, जिसके कारण पशुपालकों में भारी रोष है। रात होते ही लोगों में डर का माहौल बन जाता है और परिवारजन अपने पशुओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

वन विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने वन विभाग से तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक इस जानवर की सही पहचान नहीं होती और उसे नहीं पकड़ा जाता, तब तक क्षेत्र में भय का माहौल खत्म होने वाला नहीं है।

स्थानीय लोगों ने गांवों में गश्त बढ़ाने, कैमरा ट्रैप लगाए जाने और विशेषज्ञ टीम को मौके पर भेजने की मांग उठाई है।

ग्रामीणों की अपील
– तत्काल वन कर्मियों की तैनाती
– कैमरा ट्रैप लगाकर जानवर का पता लगाया जाए
– घायल या मृत पशुओं का मुआवजा प्रदान किया जाए
– रात के समय पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए

रिखणीखाल ब्लॉक के लेकूली और आस-पास के गांवों में फैल रहे इस रहस्यमयी जंगली जानवर के आतंक ने लोगों की नींदें उड़ा दी हैं। ग्रामीण प्रशासन और वन विभाग से त्वरित कदम उठाने की अपील कर रहे हैं, जिससे उनके मवेशियों के साथ-साथ परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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