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कुमारतनय वैश्य महासभा समिति (पंजीकृत) द्वारा तमिलनाडु में भगवान कार्तिकेय (मुरुगन) मंदिर संबंधी विवाद पर महामहिम राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन प्रेषित।

काशीपुर-कुमारतनय वैश्य महासभा समिति (पंजीकृत) द्वारा तकुमारतनय वैश्य समाज के प्रतिनिधियों ने आज उप जिलाधिकारी काशीपुर अभय प्रताप सिंह के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदया भारत सरकार, नई दिल्ली को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा।
यह ज्ञापन तमिलनाडु स्थित भगवान कुमार कार्तिकेय (मुरुगन) मंदिरों में पारंपरिक दीपोत्सव ‘आगि वेझा’ से जुड़े विवाद एवं उसके संबंध में आए न्यायिक निर्णय का विरोध करने वाले तत्वों के विरुद्ध संज्ञान लेने की मांग से संबंधित है।

ज्ञापन सौंपने वालों में—
श्री राकेश कुमार गुप्ता (राष्ट्रीय अध्यक्ष, कुमारतनय वैश्य महा सभा समिति — पंजीकृत),
श्री गौरव गुप्ता (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष),
सुश्री सिमरन गुप्ता (सदस्या), कुमारतनय वैश्य महा सभा समिति — पंजीकृत),
श्री एस. पी. गुप्ता (अध्यक्ष, सर्व वैश्य समाज काशीपुर),
श्री शशिकांत गुप्ता (जिला मीडिया प्रभारी, हिंदू राष्ट्र शक्ति),
श्री वेद प्रकाश (कृषक एवं हिंदू वादी समाजसेवी)
मुख्य रूप से शामिल रहे।
विवाद की पृष्ठभूमि:-
तमिलनाडु के ऐतिहासिक भगवान कुमार कार्तिकेय (मुरुगन) मंदिरों में सदियों से सम्पन्न होने वाले पारंपरिक धार्मिक उत्सव ‘आगि वेझा’ को लेकर हाल ही में एक कानूनी विवाद उत्पन्न हुआ था। माननीय उच्च न्यायालय ने पूरी संवेदनशीलता एवं धार्मिक स्वतंत्रता के संवैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए हिंदू समुदाय के पक्ष में संतुलित निर्णय सुनाया।किन्तु अत्यंत खेद का विषय है कि कुछ राजनीतिक दलों एवं जनप्रतिनिधियों ने न्यायालय के इस निर्णय को चुनौती देते हुए निर्णय देने वाले माननीय न्यायाधीश श्री स्वामीनाथन जी के विरुद्ध महाभियोग प्रस्ताव लाने की अनुचित मांग की है।

ज्ञापन में प्रमुख मांगें:-
1. न्यायिक स्वतंत्रता का संरक्षण:
ज्ञापन में कहा गया है कि माननीय न्यायाधीश श्री स्वामीनाथन जी का निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुरूप है, अतः उनके विरुद्ध किसी भी राजनीतिक दबाव, धमकी या महाभियोग जैसे कदमों पर कठोर संज्ञान लिया जाए।

2. धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान:
केंद्र सरकार तमिलनाडु सरकार को निर्देश दे कि हिंदू धार्मिक परंपराओं, विशेषकर भगवान मुरुगन मंदिरों के पारंपरिक दीपोत्सव को बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के सम्पन्न होने दिया जाए।

3. विरोध करने वाले राजनेताओं पर कार्रवाई:
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुँचाने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले राजनेताओं व संगठनों को उचित चेतावनी व आवश्यक कार्रवाई के दायरे में लाया जाए।

4. धार्मिक स्थलों के राजनीतिकरण पर रोक:
देशभर में हिंदू धार्मिक स्थलों को राजनीतिक व वैचारिक विवादों में घसीटने की प्रवृत्ति पर केंद्र सरकार कड़ी नीति बनाए।

5. हिंदू समाज की भावनाओं का सम्मान:
ज्ञापन में कहा गया कि इस प्रकरण को लेकर देशभर के हिंदू समाज में गहरा आक्रोश है। केंद्र सरकार तत्काल संज्ञान लेकर भारत की सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक परंपराओं एवं न्यायिक स्वतंत्रता की रक्षा हेतु कदम उठाए।

ज्ञापन सौंपने के पश्चात गौरव गुप्ता ने कहा कि “न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव बनाना लोकतंत्र पर सीधा आघात है।”
राकेश कुमार गुप्ता ने कहा कि
“भगवान कुमार कार्तिकेय के मंदिरों की परंपराएं सदियों पुरानी हैं, इन्हें रोकने का कोई भी प्रयास धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है।”

“हिंदू समाज की भावनाओं का निरंतर अपमान देशहित में उचित नहीं है। केंद्र सरकार को कड़ा रुख अपनाना चाहिए।”

उप जिलाधिकारी काशीपुर श्री अभय प्रताप सिंह जी ने ज्ञापन प्राप्त करते हुए विश्वास दिलाया कि यह ज्ञापन निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार महामहिम राष्ट्रपति महोदय एवं भारत सरकार के संबंधित विभागों तक शीघ्र प्रेषित किया जाएगा।

कुमारतनय वैश्य महासभा समिति (पंजीकृत) एवं अन्य संगठनों ने कहा कि वे सदैव धर्म, न्याय और भारतीय संस्कृति के सम्मान के लिए कानूनी एवं लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठाते रहेंगे। सभी प्रतिनिधियों ने आशा व्यक्त की कि केंद्र सरकार इस विषय को गंभीरता से लेकर उचित कार्रवाई करेगी।

प्रेषक:
कुमारतनय वैश्य महा सभा समिति (पंजीकृत)
काशीपुर(उत्तराखंड)

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