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ऊधमसिंह नगर के डेयरी उत्पादों को यूरोपीय बाज़ार में मिलेगी जगह, एफएमडी मुक्त होने से खुला निर्यात का रास्ता

ऊधमसिंह नगर जिले के डेयरी उत्पाद अब यूरोपीय बाजार में अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार हैं। खुरपका–मुंहपका (एफएमडी) जैसी गंभीर पशु बीमारी के चलते भारत वर्षों से यूरोप में डेयरी उत्पाद निर्यात नहीं कर पा रहा था, लेकिन लगातार टीकाकरण अभियान के कारण पिछले तीन वर्षों में जिले में एफएमडी का कोई मामला सामने नहीं आया है। इससे यूएस नगर अब सुरक्षित डेयरी उत्पादकों की श्रेणी में शामिल हो गया है।
जिले में फिलहाल 2.14 लाख बड़े और 86 हजार छोटे पशु हैं, जिनसे प्रतिदिन 8–9 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। इनमें से 6–6.5 लाख लीटर दूध प्रतिदिन उपयोग में आता है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आशुतोष जोशी ने बताया कि सभी पशुओं में आठ महीने पहले एफएमडी का टीकाकरण किया गया था और अब तक किसी पशु में इसके लक्षण नहीं मिले हैं।
अब तक भारत अपने डेयरी उत्पाद श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान जैसे देशों को निर्यात करता रहा है, लेकिन एफएमडी मुक्त होने के बाद यूएस नगर से चीन, रूस, अमेरिका, जापान, फ्रांस जैसे बड़े देशों में भी डेयरी निर्यात की संभावना बढ़ गई है।
केंद्र सरकार ने कुछ राज्यों में जांच टीम भेजने का निर्णय लिया है। अगले माह उत्तराखंड में पशुओं के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे और गुणवत्ता प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे। विदेशों से स्वीकृति मिलने पर भारत सरकार द्वारा चयनित एजेंसी ही उत्पादों के भंडारण और परिवहन की जिम्मेदारी संभालेगी।
लंपी रोग से बचाव के लिए जनवरी में होगा टीकाकरण अभियान
सीवीओ डॉ. जोशी ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) एक संक्रामक वायरल रोग है, जो मुख्य रूप से गायों और भैंसों को प्रभावित करता है और मच्छरों व मक्खियों जैसे काटने वाले कीड़ों से फैलता है। इससे बचाव के लिए जनवरी में विभाग की ओर से टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा।

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