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शिक्षा का मंदिर क्या इतना अपवित्र हो सकता है?” शासकीय विद्यालय मानपुर ब्लाक

उमरिया मानपुर कॉलोनी
“जब शिक्षक ही गिर जाएं, तो शिक्षा का भविष्य किसके भरोसे?”

शिक्षा का मंदिर—जहां से संस्कार, सभ्यता और चरित्र का उदय होना चाहिए—क्या वह इतनी अपवित्र और दूषित हो सकती है?
यह सवाल हर उस अभिभावक को झकझोरता है जो अपने नन्हें-मुन्ने बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद में शासकीय विद्यालय भेजता है।

उमरिया जिले के मानपुर ब्लॉक के ग्राम कालोनी टोला से एक अत्यंत शर्मनाक घटना सामने आई है, जहाँ चंद्रभान कोल, जो कि एक सरकारी विद्यालय में शिक्षक हैं, नशे की हालत में धुत्त पाए गए।
क्या यही है वह वातावरण जहाँ हम अपने बच्चों को भेजकर यह मान लेते हैं कि वे शिक्षा और संस्कार की प्राप्ति करेंगे?

सरकार शिक्षा सुधार के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर महत्वाकांक्षी योजनाएँ बनाती है। परंतु जब जड़ ही कमजोर हो, जब शिक्षक ही नशे में लिप्त होकर विद्यालय आएँ, तो भला भवन, बाउंड्री, स्मार्ट क्लास—इन सबका क्या लाभ?

👨‍👩‍👦 अभिभावकों से एक सीधा प्रश्न:
आप चाहे दिहाड़ी मजदूरी करें या सामान्य नौकरी—अपने बच्चों के लिए आप राजा की तरह ही होते हैं, और आपका बच्चा आपके लिए राजकुमार और परी ही है।
आप दिन-रात मेहनत इसलिए करते हैं कि आपका बच्चा संस्कार, शिक्षा, और व्यवस्था प्राप्त कर सके। लेकिन जब शिक्षा के इन ठेकेदारों की मानसिकता ही दूषित हो, तो समाज के सामने सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है।

🏫 निजी विद्यालय बनाम सरकारी विद्यालय – एक वास्तविकता
यह बिल्कुल सच है कि निजी विद्यालयों में आज भी अनुशासन, संस्कार और शिक्षण पद्धति का पालन अधिक सख्ती से होता है।
वहाँ के शिक्षक—

सभ्य होते हैं
संस्कारित होते हैं
अपनी गरिमा और विद्यालय की प्रतिष्ठा का पूरा ध्यान रखते हैं
बच्चों को शिक्षा के साथ मर्यादा, व्यवहार और सामाजिकता भी सिखाते हैं
हाँ, शुल्क लगता है। लेकिन गुणवत्ता बिना मूल्य के संभव भी नहीं।

छोटे शहरों के निजी विद्यालयों में जाकर देख लीजिए—
हर कमरे में व्यवस्था, हर शिक्षक में जवाबदेही, और हर गतिविधि में संस्कार का स्पर्श मिलेगा।

🏛 विद्यालय खराब नहीं—पुजारी खराब हो सकता है
चाहे सरकारी हो या निजी—विद्यालय दोनों ही एक मंदिर की तरह हैं।
लेकिन मंदिर की पवित्रता पुजारी से तय होती है।
ठीक उसी प्रकार विद्यालय की पवित्रता शिक्षक से निर्धारित होती है।

इसलिए समाज को, अभिभावकों को, और प्रशासन को एक गंभीर प्रश्न पर सोचना होगा—
क्या हम अपने बच्चों को ऐसे वातावरण में भेजेंगे जहाँ शिक्षक ही अपने आचरण से शिक्षा का अपमान कर रहे हों?

🌱 सुझाव – विशेषकर 8वीं तक के बच्चों के लिए
बच्चों को ऐसे वातावरण की आवश्यकता है जहाँ—

संस्कार मिले
सामाजिकता विकसित हो
शिक्षक आदर्श हों
वातावरण प्रेरणादायी हो
क्योंकि यही उम्र उनकी नींव बनाती है।
संस्कार एवं अनुशासन ही देश का चरित्र और महान बनाने में भूमिका निभाता है।

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