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कालसी वन प्रभाग में तस्करों की बढ़ती सक्रियता: हर बार STF क्यों कर रही कार्रवाई, वन विभाग की जिम्मेदारी पर सवाल

देहरादून/विकासनगर (इंद्रपाल सिंह): उत्तराखंड एसटीएफ ने एक बार फिर वन्यजीव तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए विकासनगर क्षेत्र में दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से 155 ग्राम भालू का पित्त और पांच जंगली जानवरों के नाखून बरामद हुए, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाखों रुपये की कीमत है।

लेकिन यह कार्रवाई कालसी वन प्रभाग में तस्करों की बढ़ती सक्रियता को उजागर करती है, जहां हर प्रमुख गिरफ्तारी एसटीएफ द्वारा ही हो रही है – वन विभाग की भूमिका न के बराबर दिख रही है, जिससे उसकी कार्यप्रणाली और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

मुखबिर की सूचना पर एसटीएफ टीम ने मदरसू क्षेत्र में भदराज मंदिर के पास घेराबंदी की। हत्यारी गांव के पास बलेर से विकासनगर आते मोटरसाइकिल सवार दोनों तस्करों को पकड़ा गया। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान भगवान सिंह रावत (कांडोयू गांव) और जितेंद्र सिंह पुंडीर (मदरसू गांव) के रूप में हुई।

भालू का पित्त पारंपरिक चीनी दवाओं में इस्तेमाल होता है और इसकी तस्करी दुर्लभ हिमालयन ब्लैक बियर प्रजाति को खतरे में डाल रही है।

एसटीएफ के एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि दोनों पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की आठ धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। टीम ने जांच में वन विभाग से सहयोग मांगा है, लेकिन सवाल यह है कि प्रभाग स्तर पर वन विभाग की टीमें तस्करी की सूचनाओं पर क्यों त्वरित कार्रवाई नहीं कर पातीं? अंतरराष्ट्रीय मांग के चलते तस्कर जंगलों में सक्रिय हैं, जबकि स्थानीय निगरानी की जिम्मेदारी वन विभाग की है।

यह कोई अलग-थलग घटना नहीं। कालसी वन प्रभाग में 2024 में भी एसटीएफ ने कृष्ण कुमार को हिरण की कस्तूरी और अन्य अंगों के साथ पकड़ा था। बार-बार एसटीएफ की कार्रवाइयों से साफ है कि तस्करों का नेटवर्क मजबूत है, लेकिन वन विभाग की पेट्रोलिंग और इंटेलिजेंस में कमी दिख रही है। लोगों का मानना है कि स्थानीय स्तर पर सतर्कता न होने से दुर्लभ प्रजातियां खतरे में हैं और तस्कर बेखौफ होकर सक्रिय हैं।

एसटीएफ अब पूरे नेटवर्क की जांच कर रही है, लेकिन कालसी जैसे संवेदनशील वन प्रभागों में वन विभाग को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। अन्यथा, जंगलों की यह लूट जारी रहेगी और दुर्लभ वन्यजीव विलुप्ति के कगार पर पहुंच जाएंगे।

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