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*नैतिक शिक्षा से युवाओं को मिलेगी नई दिशा – भगवान भाई*



“भौतिक शिक्षा से हम रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन परिवार, समाज अथवा कार्यस्थल पर आने वाली चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना नहीं कर सकते।” यह विचार माउंट आबू से पधारे ब्रह्माकुमारी संगठन के बी.के. भगवान भाई ने व्यक्त किए। वे सर सैयद अहमद इंटर कॉलेज एवं बालिका इंटर कॉलेज में आयोजित “नैतिक शिक्षा से चरित्रवान, सशक्त युवा” विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि आज का युवा डॉक्टर, इंजीनियर बनकर धन कमाना और सुख-सुविधाओं से युक्त जीवन प्राप्त करना चाहता है, लेकिन जब लक्ष्य पूरे नहीं होते तो मन असंतुष्ट हो जाता है और मानसिक संतुलन डगमगा जाता है।
भगवान भाई ने स्पष्ट कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य चरित्र निर्माण, असत्य से सत्य की ओर प्रेरित करना और बंधनों से मुक्ति दिलाना है, परंतु आधुनिक शिक्षा केवल भौतिकता की ओर ले जा रही है। भौतिक शिक्षा से जहां भौतिक साधन मिलते हैं, वहीं नैतिक शिक्षा से चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण होता है, जो व्यक्ति को जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना करने का आत्मबल प्रदान करता है।

उन्होंने बताया कि शिक्षा एक बीज है और जीवन एक वृक्ष। जब तक जीवन रूपी वृक्ष पर गुणों के फल नहीं आते, तब तक शिक्षा अधूरी है। समाज प्रेम, सद्भाव, भातृत्व, नैतिकता और मानवीय सद्गुणों से संचालित होता है।
भगवान भाई ने कहा कि नैतिक शिक्षा से युवाओं को सही दिशा एवं सर्वांगीण विकास प्राप्त हो सकता है। सच बोलना, चोरी न करना, अहिंसा, उदारता, शिष्टता, विनम्रता, सुशीलता आदि नैतिकता के महत्वपूर्ण अंग हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्र प्रभारी बी.के. अनिता बहन ने कहा कि नैतिक गुणों के आधार पर ही मनुष्य वंदनीय बनता है। दुनिया में धन-संपत्ति और वैभव की वास्तविक नींव सच्चरित्रता पर ही आधारित है।

प्रधानाचार्य मोहम्मद शाहिद नईम ने वर्तमान में बढ़ रही अनुशासनहीनता, अपराध, नशा, क्रोध व आपसी विवादों का कारण नैतिक शिक्षा का अभाव बताया।
उप प्रबंधक तारा गुप्ता ने बच्चों से कार्यक्रम में कही गई शिक्षाओं को व्यवहार में अपनाने की अपील की।

स्थानीय ब्रह्माकुमारीज की राजयोग शिक्षिका बी.के. समिता बहन ने संस्था का परिचय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में मिर्जा जरियाब खान, मोहम्मद असद, आनंद सिंह, शिशिर कुमार यादव, शशी यादव, रोशनी गुप्ता, मीरा भारती, शिवकुमार, बी.के. संतोष, बी.के. श्रीगणेश, दयाराम, सोमनाथ, श्याम नारायण, रामविलास सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाएँ उपस्थित रहीं।

अंत में राजयोग मेडिटेशन सत्र भी कराया गया। कुछ विद्यार्थियों ने कार्यक्रम से प्राप्त अपने अनुभव भी साझा किए।

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