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शिक्षिका शिवानी वर्मा हत्याकांड में डीआईजी की एंट्री के बाद शिवानी वर्मा को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ी

पिछले दिनों अररिया जिला के नरपतगंज प्रखंड में उत्तर प्रदेश राज्य की रहने वाली शिक्षिका को अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। अररिया एसपी अंजनी कुमार ने आनन-फानन में अपनी अकर्मण्यता को छुपाने के उद्देश्य से मनगढ़ंत कहानी बनाकर मामले को निपटने का प्रयास किया। लेकिन एक कहावत है कि ये जनता है और जनता सब जानती है। अररिया की आम जनता ने एसपी साहब की फिल्मी कहानी पर भरोसा नहीं किया।
इस मामले में अब, जब डीआईजी महोदय की एंट्री हुई तो न केवल अररिया जिला बल्कि इस चर्चित हत्याकांड से मर्माहत हुए बिहार और उत्तर प्रदेश की आम जनता को एक आशा की किरण दिखाई दी कि डीआईजी महोदय के हस्तक्षेप और जांच के बाद मृतक शिक्षिका शिवानी वर्मा और उनके परिवार को न्याय मिलेगी। ऐसे देखा जाए तो जब से अररिया पुलिस कप्तान के रूप में अंजनी कुमार ने पदभार संभाला है, तब से अररिया जिला में अपराधों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। दबंगों और बदमाशों द्वारा कमजोर और निरीह लोगों पिटाई कर देना, लोगों को जिंदा जला देना, लोगों की हत्या कर देना आम बात हो गई है। पुलिस कप्तान अंजनी कुमार की नजरों में दबंगों द्वारा महिलाओं और बच्चों की पिटाई करना कोई बड़ी बात अब नहीं रह गई है। इस वर्ष जुलाई महीने में जब दबंगों और गुंडो द्वारा एक वृद्ध महिला और उनकी बेटी की बेरहमी से पिटाई की गई थी, तब जब उस वृद्ध महिला ने अररिया पुलिस कप्तान अंजनी कुमार के ऑफिस में जाकर अपनी आपबीती सुनाई, आवेदन दिया और उन्हें बताया कि दबंगों और गुंडो द्वारा उनकी बेरहमी से पिटाई की गई है तो पुलिस कप्तान महोदय अंजनि कुमार के शब्द थे कि "उसमें हम क्या कर सकते हैं?" अब पुलिस कप्तान यदि अपराधियों और दबंगों के सामने घुटने टेकते हुए एक पीडित वृद्ध महिला को जब यह कहते पाए जाते हैं कि "वे क्या कर सकते हैं" तो जिले में अपराध और अपराधियों की संख्या में वृद्धि होना लाजमी है।
पुलिस कप्तान के इस रवैया के कारण अपराधियों के मन से कानून और प्रशासन का भय खत्म होना स्वाभाविक है और इस केस में भी वैसा ही हुआ। दबंगों और गुंडो ने 22 सितंबर 2025 को एक बार फिर उस वृद्ध महिला की पिटाई कर दी। इस बार वृद्ध महिला ने अपने लोकल थाने (महलगांव) में आवेदन देने की बजाय 'महिला थाना अररिया' में आवेदन दिया जहां पर तत्कालीन महिला थाना अध्यक्ष ने पहले तो उनका आवेदन लेने से मना कर दिया लेकिन बाद में आवेदन स्वीकार किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। तत्कालीन 'महिला थाना अध्यक्ष अररिया' ने पीड़ित वृद्ध महिला को एक सप्ताह तक बरगला कर रखा और उसके बाद बहाने बनाकर मामले को टालने का प्रयास किया और फिर उन्हें अपने लोकल थाना महलगांव में ही जाकर आवेदन देने के लिए कहा गया। महिला ने जब अपने लोकल थाना महलगांव थाना में आवेदन दिया तो मामले की जांच करने आए एक पुलिसकर्मी एसआई प्रेम कुमार ने उन दबंगों और गुंडो के सामने ही उस वृद्ध महिला को अभद्र गालियां दी और धमकाया कि और कहा कि "हम तुम्हारे बाप का नौकर नहीं हैं कि कुछ होता है तो मुंह उठाकर थाना आ जाते हो और आवेदन दे देते हो। हम तुम्हारे बाप का नौकर नहीं है। आइंदा यदि आवेदन दिया तो हम तुम्हें रोड पर घसीट कर थाने ले जाएंगे और कि किसी झूठे केस में फंसा कर जेल में संडा देंगे।" एसआई प्रेम कुमार के ये छुटभैया गुंडानुमा भाषा और शब्द अपराधियों के मन से कानून का भय खत्म करने और अपराध में बेतहाशा वृद्धि के लिए काफी हैं।
वहीं एक अन्य मामले में जहां पर अगस्त महीने में अररिया जिला के भरगामा प्रखंड के भरगामा थाना क्षेत्र में ही दबंगों द्वारा नयन यादव को उनके ही घर में जिंदा जला दिया गया उनके परिवार बर्बाद हो गए लेकिन दबंगों और गुंडो पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले में भी अररिया पुलिस कप्तान अंजनी कुमार ने झूठी और काल्पनिक कहानियां गढे और मामले को रफा-दफा कर दिया।
एसआई प्रेम कुमार और एसपी अंजनी कुमार जैसे अधिकारियों के रहते हुए यदि राज्य सरकार अपराध और अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करती है तो यह हास्यास्पद प्रतीत होता है। क्योंकि ऐसे अधिकारियों के रहते अपराध और अपराधियों पर लगाम कसना संभव नहीं है। अपराध और अपराधियों पर शिकंजा कसने से पहले या कार्रवाई करने से पहले इस प्रकार के पुलिसकर्मी और पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई करना अति आवश्यक है। अन्यथा न तो अपराध में कोई कमी होने वाली है और ना ही अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन हो सकता है।

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