
रिश्वत में दो करोड़ मांगने वाला पुलिस सब इंस्पेक्टर प्रमोद चिंतामणी कमिश्नर ने किया बर्खास्त
महाराष्ट्र के पुणे पुलिस के इतिहास की सबसे सख्त सजा में से एक
पुणे : पुणे पुलिस के लिए सोमवार का दिन बेहद शर्मनाक और सबक सिखाने वाला रहा। लंबे समय से विवादों में घिरे पुलिस उपनिरीक्षक (PSI) प्रमोद चिंतामणी को आखिरकार महाराष्ट्र पुलिस सेवा से हमेशा के लिए बर्खास्त कर दिया गया है। पुलिस आयुक्त विनायक कुमार चौबे ने स्वयं हस्ताक्षर करके बर्खास्तगी के आदेश जारी किए। पुलिस विभाग के इतिहास में इतनी बड़ी रकम की रिश्वत और इतने संगीन आरोपों के बाद इतनी सख्त कार्रवाई दुर्लभ मानी जा रही है।
“पैसे दोगुने कर दूंगा” कहकर ५ करोड़ की ठगी पिंपरी-चिंचवड और पुणे के आसपास के इलाकों में प्रमोद चिंतामणी लंबे समय से लोगों को लालच देते थे। उनका तरीका बेहद साधारण था – “मेरे पास कुछ खास रास्ते हैं, आपका पैसा ६ महीने से एक साल में दोगुना कर दूंगा।” इस झांसे में ४० से ज्यादा मध्यमवर्गीय लोग फंस गए। कोई अपना रिटायरमेंट फंड लेकर आया, कोई बच्चों की पढ़ाई के लिए जमा किए पैसे लेकर आया। कुल मिलाकर प्रमोद ने करीब ५ करोड़ रुपये की ठगी की। खास बात यह थी कि ठगे हुए पैसों को वह अपने नाम पर नहीं रखता था। सारा पैसा वह अपनी साली (बहन का पति नहीं, पत्नी की बहन) के बैंक खातों में ट्रांसफर करवाता था, ताकि उसका नाम कहीं न आए।
२ नवंबर की रात : ४६.५० लाख लेते रंगे हाथ पकड़े गए – एक बड़े केस को दबाने और क्लीन चिट देने के बदले प्रमोद चिंतामणी ने दो करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी। शिकायत मिलते ही लाचलुचपत प्रतिबंधक विभाग (ACB) ने सावधानी से जाल बिछाया।
२ नवंबर २०२५ की शाम को जैसे ही प्रमोद चिंतामणी ने ४६ लाख ५० हजार रुपये का बैग हाथ में लिया, ACB की टीम ने उन्हें धर दबोचा। मौके पर ही उनके घर और लॉकर की तलाशी ली गई, जहाँ से अतिरिक्त ५१ लाख रुपये नकद बरामद हुए। यह सारा पैसा अलग-अलग बंडलों में रखा हुआ था, मानो किसी बड़े सौदागर का खजाना हो। तब तक प्रमोद चिंतामणी पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offences Wing) में तैनात थे – यानी जिस शाखा का काम आर्थिक अपराध रोकना था, उसी शाखा का अधिकारी खुद सबसे बड़ा अपराधी बन बैठा था।
अंतिम फैसला : हमेशा के लिए नौकरी से बाहर
सभी सबूत, गवाहों के बयान, बैंक ट्रांजेक्शन और ठगी के शिकार लोगों की फेहरिस्त देखने के बाद पुलिस आयुक्त के पास कोई रास्ता नहीं बचा। सोमवार ८ दिसंबर २०२५ को आधिकारिक आदेश जारी हुआ :
“पुलिस उपनिरीक्षक प्रमोद चिंतामणी को महाराष्ट्र पुलिस बल नियम १९७५ के तहत तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त किया जाता है। उन्हें कोई पेंशन या अन्य सरकारी लाभ नहीं मिलेगा।”
पुलिस महकमे के वरिष्ठ अधिकारियों ने ऑफ द रिकॉर्ड बताया, “यह पुणे पुलिस के इतिहास में सबसे कड़ी और सबसे तेज कार्रवाई है। हमने संदेश साफ दे दिया है – वर्दी का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
अब आगे क्या? – ठगी के सभी ४०+ शिकार लोगों के केस भोसरी पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं।
ACB दो करोड़ की रिश्वत के केस में चार्जशीट जल्द दाखिल करने वाली है।
प्रमोद चिंतामणी फिलहाल जेल में हैं और उनकी जमानत याचिका हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दी है।
पुणे की जनता इस कार्रवाई से राहत महसूस कर रही है, लेकिन सवाल वही पुराना है – जब पुलिस वाला ही लुटेरा बन जाए तो आम आदमी जाए तो कहाँ?
शायद यही वजह है कि पुलिस आयुक्त ने साफ कहा है, “यह सिर्फ शुरुआत है। जो भी वर्दी को कलंकित करेगा, उसे इसी तरह सजा मिलेगी।”