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युवाओं को निक्षय मित्र बनने के लिए गया प्रेरित

​आगरा, ​दैनिक जागरण समूह द्वारा एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम में आयोजित 'हेल्थऑन' कार्यक्रम में जिला क्षय रोग अधिकारी (DTO) डॉ. सुखेश गुप्ता के पर्यवेक्षण में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत एक विशेष स्टॉल लगाई गई। इस पहल का उद्देश्य युवाओं को टीबी के बारे में जागरूक करना और उन्हें टीबी मुक्त भारत अभियान से जोड़ना था।
​स्टॉल पर 200 से अधिक लोगों की टीबी स्क्रीनिंग की गई। इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम में एकत्रित हुए एक हज़ार से अधिक युवाओं को टीबी के संक्रमण, उपचार और रोगियों के प्रति सहयोग की आवश्यकता के बारे में जागरूक किया गया। युवाओं को 'निक्षय मित्र' बनकर टीबी रोगियों को सहायता प्रदान करने के लिए विशेष रूप से प्रेरित किया गया।
​डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि भारत सरकार के युवा कल्याण एवं खेल मंत्रालय ने टीबी मुक्त भारत अभियान को सशक्त बनाने के लिए युवाओं और संस्थाओं को 'निक्षय मित्र' बनाने का फैसला किया है। निक्षय मित्र टीबी रोगियों को गोद लेकर, उनकी मनो-सामाजिक सहायता कर और उपचार के दौरान सही तरीके से दवाएं लेने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
​डीटीओ ने निक्षय मित्र बनने की प्रक्रिया भी समझाई। उन्होंने बताया कि किसी भी टीबी रोगी की सहमति के बाद 'निक्षय पोर्टल' पर स्वयं का पंजीकरण करवाकर, उन्हें कम से कम छह महीने तक पोषण संबंधी सहायता या अन्य सहयोग दिया जा सकता है। डीटीओ ने समाज से टीबी मरीजों से भेदभाव न करने की अपील भी की।
​आगरा की उपलब्धि:
​डॉ. गुप्ता ने बताया कि जनपद आगरा में प्रति वर्ष ठीक हुए मरीजों (सफलता) का प्रतिशत 95% है। टीबी के मरीजों को खोजने की संख्या में आगरा पूरे उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत वर्ष में पहले नंबर पर है।
​स्टॉल पर टीबी मुक्त भारत अभियान 2025 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण संदेश दिए गए, जैसे:
​टीबी और इसके लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
​समुदाय में टीबी परीक्षण और उपचार केंद्र की जानकारी देना।
​टीबी मरीज के संपर्क में आए लोगों को अनिवार्य रूप से टीपीटी (टीबी निवारक उपचार) प्रदान करना।
​अधिक से अधिक जनमानस को निक्षय मित्र के रूप में पंजीकृत करना।
​निक्षय पोषण योजना के बारे में जानकारी देना और रोगियों का पंजीकरण बढ़ाना।
​देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए टीबी केस को 90% दर से कम लाना और टीबी से होने वाली मौत को 99% से कम लाना।

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