
UP: नाै महीने में 1077 दुर्घटना, 94 लोगों की माैत...आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर इसलिए हो रहे हादसे, हो जाएं सतर्क
आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे 302 किलोमीटर लंबा है। इस पर चालकों को दो जगह ही रुकने की सुविधा मिलती है। नई गाइडलाइन में 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर रुकने की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे चालक आराम कर सकें।आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर जनवरी से सितंबर तक 1077 दुर्घटनाओं में 94 लोगों की जान चली गई और 1,664 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। चाैंकाने वाली बात यह है कि इनमें से आधे से अधिक हादसे चालक की नींद पूरी न होने और थकान की वजह से हुए। ओवरस्पीड से होने वाले हादसों का आंकड़ा काफी कम है। 597 हादसें चालकों की नींद पूरी न होने और थकान की वजह से हुए। यह आंकड़े आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना में यूपीडा ने उपलब्ध कराए हैं।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे 302 किलोमीटर लंबा है। आगरा के साथ ही फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नाैज, कानपुर नगर, उन्नाव, हरदोई से होकर गुजरता है। इस एक्सप्रेसवे पर कई बार हादसे हो चुके हैं। एक्सप्रेसवे पर क्रैश बैरियर नहीं हैं। इस वजह से तेज रफ्तार वाहन दूसरी लेन में पहुंच जाते हैं। इससे कई बार हादसे हो चुके हैं। इसके अलावा एक्सप्रेसवे पर कैंटीन की संख्या कम होने की वजह से रात में चालक नहीं रुकते हैं।रोड सेफ्टी ऑडिट की संस्तुतियां नहीं हुईं लागू
अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि वर्ष 2019 में लखनऊ एक्सप्रेसवे का रोड सेफ्टी ऑडिट हुआ था। यह सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट नई दिल्ली ने किया था। इसकी संस्तुतियों को लागू नहीं किया जा सका है। इसमें जनसुविधाओं को बढ़ाना था। 302 किलोमीटर पर दो जगह ही रुकने की सुविधा मिलती है। नई गाइडलाइन में 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर रुकने की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे चालक आराम कर सकें। उन्हें गाड़ी खड़ी करने के लिए एक जगह भी मिल जाएगी। महंगी चाय होने की वजह से चालक रुकना नहीं चाहते इसलिए सस्ते कमरे, चाय और नाश्ते की व्यवस्था होनी चाहिए। वाहनों की स्पीड भी कम करनी चाहिए।
कब हो रहे हादसे
रात 12 बजे से सुबह 8 बजे के बीच दुर्घटनाएं और मौत सबसे ज्यादा होती हैं। चालक की थकान से रात 12 से सुबह 8 बजे तक 390 दुर्घटनाएं हुईं। यह आंकड़ा थकान की दुर्घटनाओं का 65 प्रतिशत से अधिक है। इसमें तड़के 4 से 6 के बीच 119 दुर्घटनाएं सामने आईं। वहीं सुबह 6 से 8 बजे के बीच 118 दुर्घटनाएं हुईं। इन दोनों समयावधि में मृतक संख्या 42 रही। अन्य कारण से 292 दुर्घटनाएं हुईं। इनमें रात 2 से तड़के 4 बजे और तड़के 4 से 6 बजे के बीच में 27 लोगों की जान गई। इसकी प्रमुख वजह गलत लेन में चलना, गलत ओवरटेक, मोबाइल चलाना, अचानक ब्रेक लगाना रहा।
ओवरस्पीड से 103 दुर्घटनाएं सामने आईं। इनमें रात 12 बजे से सुबह 8 बजे के बीच 21 लोगों की जान गई। दिन में टायर फटने से 72 दुर्घटनाएं हुईं। इनमें चार लोगों की जान गई। इनमें मरम्मत-रहित टायर और ओवर इन्फ्लेशन मुख्य कारण रहा। दोपहर 12 से दो बजे और शाम चार से छह बजे के बीच अधिक घटनाएं हुईं। जानवरों से टक्कर से 13 हादसे हुए। हालांकि, इसमें किसी की जान नहीं गई। अधिकांश घटनाएं तड़के 4 से सुबह 6 बजे के बीच हुईं। इसकी वजह सीमित दृश्यता रही।
रिपोर्टर लवकुश कुमार जर्नलिस्ट फिरोजाबाद
मो 6399160275