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बाबा कुशेश्वर स्थान एक प्रसिद्ध शिवधाम है। मिथिला के

बाबा कुशेश्वर स्थान – एक सरल और सुंदर हिंदी कथा
बिहार के दरभंगा ज़िले में स्थित बाबा कुशेश्वर स्थान एक प्रसिद्ध शिवधाम है। कहते हैं कि यहाँ भगवान शिव स्वयं बाबा कुशेश्वर महादेव के रूप में विराजमान हैं। इस स्थान से जुड़ी कई लोककथाएँ प्रचलित हैं। यहाँ एक लोकप्रिय कथा सरल भाषा में प्रस्तुत है:
कथा: बाबा कुशेश्वर महादेव की महिमा
बहुत समय पहले, यह स्थान घने जंगलों से भरा हुआ था। गाँव के लोग यहाँ आने से डरते थे, क्योंकि शाम होते ही जंगली जानवरों की आवाज़ें गूँज उठती थीं। उसी जंगल के बीच एक छोटा-सा तालाब था और पास ही एक विशाल पीपल का पेड़। कहते हैं, उस पेड़ की जड़ के नीचे एक अद्भुत शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था।
पास के गाँव में रहने वाला एक गरीब ग्वाला रोज़ अपने मवेशियों को जंगल में चराने आता था। एक दिन उसकी गाय हमेशा की तरह चरते-चरते पीपल के पेड़ के पास गई और वहाँ खड़े शिवलिंग पर अपना सारा दूध अर्पित कर दिया। ग्वाले को यह देखकर आश्चर्य हुआ, लेकिन उसने सोचा—शायद ऐसा संयोग से हुआ होगा।
पर जब यह घटना रोज़ होने लगी, तो वह हैरान हो गया। उसने अपने गाँव वालों को बताया। लोग पहले तो मानने को तैयार नहीं हुए, पर जब वे खुद उस स्थान पर पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि गाय बिना किसी आदेश के शिवलिंग पर दूध चढ़ा रही है। यह देखकर गाँव वाले भाव-विभोर हो उठे।
एक रात ग्वाले को स्वप्न आया। भगवान शिव उसके सामने प्रकट हुए और बोले—
“हे बालक, मैं इस स्थान पर बाबा कुशेश्वर महादेव के रूप में विराजमान हूँ। लोगों की भलाई के लिए मैंने यहाँ प्रकट रूप धारण किया है। मेरी पूजा करो, यह स्थान पवित्र होगा और सभी भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होंगी।”
अगले दिन गाँव वालों ने उस जगह की साफ-सफाई की और शिवलिंग की विधिवत पूजा आरंभ की। धीरे-धीरे यह स्थान दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो गया। लोग अपनी समस्याएँ लेकर आते, मन से पूजा करते और बाबा कुशेश्वर महादेव उनकी इच्छा पूरी करते। जो भी भक्त सच्चे मन से यहाँ जल चढ़ाता, उसकी परेशानियाँ दूर हो जातीं।
आज यह स्थान कुशेश्वर स्थान धाम के नाम से जाना जाता है और श्रावण मास में यहाँ लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। लोग मानते हैं कि यहाँ शिवजी अति प्रसन्न होकर शीघ्र मनोकामना पूरी करते हैं।

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