
कर्नल डिफेंस एकेडमी ने पुनः सिद्ध किया—जहाँ मार्गदर्शन कर्नल ढाका का हो, वहाँ सफलता निश्चित है।
कर्नल डिफेंस एकेडमी कुचामन सिटी में 18 जांबाज कैडेट्स का सम्मान समारोह —
देशभक्ति, गर्व और प्रेरणा से भरा अविस्मरणीय दिन
हर्षित अग्रवाल कुचामन सिटी,
संपूर्ण भारतवर्ष में अपनी प्रोफेशनल ट्रेनिंग, कठोर अनुशासन और उच्च चयन दर के लिए प्रसिद्ध कर्नल डिफेंस एकेडमी कुचामन सिटी में आज इतिहास रच दिया।
पूर्व सेना भर्ती अधिकारी कर्नल नंद किशोर ढाका के मार्ग दर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त 18 जांबाज कैडेट्स का भारतीय सेना में चयन हुआ।इसी उपलक्ष्य में आज अकादमी परिसर में एक भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसने हर उपस्थित व्यक्ति के दिल में गर्व और भावनाओं की लहर पैदा कर दी।
“ये 18 चयन... सिर्फ संख्या नहीं, ये 18 परिवारों का गर्व और 18 गाँवों का सपना है।” – कर्नल नंद किशोर ढाका
कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान और शहीदों को श्रद्धांजलि के साथ हुई।
इसके बाद पहली बार मंच पर जब 18 चयनित कैडेट्स एक साथ आए, तो पूरा परिसर तालियों से गूंज उठा।कई अभिभावकों की आँखों में गर्व और खुशी के आँसू छलक पड़े।
अभिभावकों का सम्मान — “वर्दी बेटा पहनता है, पर त्याग पूरा परिवार करता है”
कर्नल डिफेंस एकेडमी द्वारा चयनित कैडेट्स के माता-पिता को भी सम्मानित किया गया।
कर्नल ढाका ने कहा—
“भारत माता की सेवा करने वाला सैनिक घर से तैयार होकर आता है।हमारी अकादमी केवल उसे दिशा देती है।असल में मेहनत परिवार करता है और आज हम उसी का सम्मान कर रहे हैं।”
कैडेट्स ने साझा की संघर्ष और सफलता की कहानी
कैडेट्स ने बताया कि कैसे कर्नल ढाका के अनुशासन, टीम वर्क, फील्ड ट्रेनिंग और मानसिक दृढ़ता ने उनके जीवन को बदल दिया।
कई कैडेट्स ने यह भी कहा कि
“हम यहाँ सिर्फ पढ़ाई नहीं करते, हमें यहाँ जीना, लड़ना और जीतना सिखाया जाता है।”
जूनियर कैडेट्स के लिए प्रेरणा का दिन
अकादमी के सैकड़ों जूनियर कैडेट्स ने अपने सामने 18 सफल योद्धाओं को देखकर एक ही संकल्प लिया
“अगली जीत हमारी होगी… अगली बार हम यह मंच पर खड़े होंगे।”
कर्नल नंद किशोर ढाका का प्रेरणादायक संबोधन
कर्नल ढाका ने कहा—
“किसान और जवान के बेटे-बेटियों तक भारत की सेना पहुँचनी चाहिए।
हमारी अकादमी का उद्देश्य केवल चयन नहीं,
चरित्रवान, अनुशासित और देशभक्त युवा तैयार करना है।
आज के 18 चयन देश को समर्पित 18 दीपक हैं।”उनके भाषण ने कैडेट्स ही नहीं, अभिभावकों के दिलों को भी छू लिया।
कार्यक्रम का समापन एक भावनात्मक पंक्ति के साथ हुआ –“भारत माता की जय कहना आसान है…पर आज 18 बेटे सच में भारत माता को जय करा आए।”