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बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी को महापरिनिर्वाण दिवस पर शत - शत नमन

आज 06 दिसम्बर को सारंगढ़–बिलाईगढ़ सहित पूरे देश में भारत रत्न, संविधान निर्माता एवं सामाजिक न्याय के प्रबल प्रहरी डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। बाबा साहेब के विचारों, संघर्षों और योगदान को याद करते हुए सभी वर्गों के लोगों ने उन्हें नमन किया।

बाबा साहेब अंबेडकर ने अपना संपूर्ण जीवन सामाजिक समानता, मानव अधिकारों और न्यायपूर्ण समाज निर्माण को समर्पित कर दिया था। भारत के संविधान के निर्माण में उनकी निर्णायक भूमिका ने न केवल भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया, बल्कि देश के वंचित, शोषित और कमजोर वर्गों को एक नई पहचान और सम्मान दिलाया। आज भी उनके विचार आधुनिक भारत की प्रगति के मार्गदर्शक बने हुए हैं।

स्थानीय क्षेत्र में भी महापरिनिर्वाण दिवस पर विशेष आयोजन किए गए। सामाजिक संगठनों, युवा समूहों, विभिन्न दलित-बहुजन संगठनों तथा बुद्धिस्ट समुदाय के सदस्यों द्वारा प्रतिमाओं पर माल्यार्पण, श्रद्धांजलि सभाएँ तथा विचार-विमर्श कार्यक्रम आयोजित किए गए। संविधान, समानता, शिक्षा और अधिकारों पर आधारित बाबा साहेब के सिद्धांतों को जन–जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया गया।

इसी क्रम में AIMA MEDIA के संपादक एवं सामाजिक कार्यकर्ता दारीकांत ने भी बाबा साहेब को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि—
“डॉ. अंबेडकर का संघर्ष किसी एक वर्ग के लिए नहीं बल्कि पूरे मानव समाज के लिए था। उन्होंने समाज के वंचितों को मुख्यधारा में लाने के लिए जो क्रांतिकारी कदम उठाए, वह हमेशा इतिहास में अमर रहेंगे। आज हम सभी उनके दिखाए मार्ग—समानता, शिक्षा और संगठन—पर चलकर ही एक सशक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं।”

दारीकांत ने आगे कहा कि बाबा साहेब की सोच आज और भी प्रासंगिक है। डिजिटल युग में भी जब सामाजिक असमानता, भेदभाव और संवैधानिक मूल्यों को चुनौती मिल रही है, ऐसे समय में अंबेडकरवादी विचार ही नई पीढ़ी को दिशा देते हैं। उनके द्वारा दिया गया संविधान हर भारतीय की सबसे बड़ी ताकत है।

सारंगढ़–बिलाईगढ़ क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों, सामाजिक संस्थाओं और युवाओं ने भी प्रभात फेरी, संविधान वाचन, जागरूकता कार्यक्रम और संगोष्ठियों का आयोजन किया। वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा ही वह हथियार है, जिसके जरिए समाज में वास्तविक परिवर्तन लाया जा सकता है, जैसा कि बाबा साहेब हमेशा कहते थे— “शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो।”

कार्यक्रमों के दौरान संविधान संरक्षण, सामाजिक सद्भाव, समानता, भाईचारे और मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया। अंत में सभी उपस्थित लोगों ने डॉ. अंबेडकर के बनाए न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज के सपने को साकार करने का संकल्प लिया।

— AIMA MEDIA

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