
ध्वनि प्रदूषण पर "बुलडोजर एक्शन" की आवश्यकता ।
"कानफोड़ू ध्वनि का जो है ये आतंक छाया,
शांति छीने, स्वास्थ्य बिगाड़े, संस्कृति को लजाया"
सरकार को इस समस्या पर "बुलडोजर एक्शन" की तरह ही सख्त और त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
बिहार में व्याप्त "कानफोड़ू ध्वनि प्रदूषण" आज एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य संकट बन चुका है। शादी-ब्याह जैसे शुभ अवसरों पर भी देर रात तक तय सीमा से अधिक डीजे का शोर, और उससे भी अधिक चिंताजनक, यात्री वाहनों या ट्रैक्टरों पर बजने वाले अश्लील भोजपुरी गाने, समाज के स्वास्थ्य और नैतिक ताने-बाने को लगातार चोट पहुँचा रहे हैं।
यह तेज और कर्कश ध्वनि, विशेष रूप से रात के समय, "बुजुर्गों, बीमारों और गर्भवती महिलाओं" के लिए अत्यधिक हानिकारक सिद्ध होती है। हृदय रोगियों के लिए यह जानलेवा तक हो सकती है। वहीं, अस्पतालों और बच्चों के स्कूलों के पास से गुजरते इन वाहनों का शोर और अश्लील सामग्री, "बच्चों के मन और एकाग्रता" पर सीधा नकारात्मक प्रभाव डालती है। ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियमावली, 2000 के तहत रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर के प्रयोग पर प्रतिबंध है और डेसिबल सीमा का उल्लंघन दंडनीय अपराध है।
'अश्लील ध्वनि' पर कार्रवाई:-यात्री वाहनों, बसों और ट्रैक्टर्स पर तेज आवाज में अश्लील भोजपुरी गाने बजाने वालों पर तत्काल भारी जुर्माना और उपकरण जब्ती की कार्रवाई की जानी चाहिए।
डीजे/लाउडस्पीकर पर सख्ती:-शादी-ब्याह या अन्य आयोजनों में तय डेसिबल सीमा और समय (रात 10 बजे के बाद) का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई हो।
डायल 112 का उपयोग:-सरकार द्वारा पहले से ही संचालित आपातकालीन सेवा 'डायल 112' को ध्वनि प्रदूषण की शिकायतों के लिए मुख्य माध्यम बनाया जाना चाहिए, जैसा कि पटना हाई कोर्ट ने भी निर्देश दिया है। त्वरित पुलिस प्रतिक्रिया से इस समस्या पर तुरंत काबू पाया जा सकता है।
यह केवल कानून का नहीं, बल्कि "नागरिक चेतना" का भी विषय है। जब तक हर व्यक्ति शांतिपूर्ण और स्वस्थ वातावरण के लिए अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेगा, तब तक यह शोर जारी रहेगा।
मनीष सिंह
शाहपुर पटोरी
@ManishSingh_PT