लखीमपुर खीरी संस्करण | विशेष रिपोर्ट | विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस
उत्तर प्रदेश बन रहा देश का नया इको-टूरिज्म हबतीन साल में 161 करोड़ का निवेश, जंगलों में वन्यजीवों की संख्या रिकॉर्ड स्तर परलखीमपुर खीरी।विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि सामने आई है। प्रदेश अब तेजी से देश का नया इको-टूरिज्म हब बनता जा रहा है। खासकर दुधवा और कतर्नियाघाट टाइगर रिज़र्व में पिछले तीन वर्षों के दौरान 161 करोड़ रुपये के निवेश ने वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन के क्षेत्र में नया रिकॉर्ड स्थापित किया है।प्रदेश के जंगलों में बाघ, गैंडा, बारहसिंघा और घड़ियाल जैसी दुर्लभ प्रजातियों की संख्या में ऐतिहासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह इस बात का प्रमाण है कि सरकार और वन विभाग की नीतियाँ जमीनी स्तर पर सफलतापूर्वक लागू हो रही हैं।---🔷 दुधवा–कतर्नियाघाट में संरक्षण की बड़ी सफलतादुधवा टाइगर रिज़र्व, कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार और किष्णापुर सेंचुरी में वैज्ञानिक तरीकों से किए गए संरक्षण अभियानों का सकारात्मक असर सामने आया है—🐅 बाघों की संख्या में लगातार इजाफा🦏 गैंडा संरक्षण में ऐतिहासिक सफलता🦌 बारहसिंघा (स्वैम्प डियर) की विश्व स्तर पर सुरक्षित प्रजाति के रूप में पुनर्स्थापना🐊 घड़ियाल की संख्या में भी संतोषजनक वृद्धिवन्यजीव विशेषज्ञ इसे पूर्वी तराई के जंगलों के पुनर्जन्म की सबसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं।---🔷 इको-फ्रेंडली सुविधाओं से बदली जंगलों की तस्वीरपर्यटन सुविधाओं के विस्तार से जंगलों का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है—✔ ईको-फ्रेंडली कुटीर और जंगल सफारी ट्रेल✔ ट्री-हाउस, कैनोपी वॉक और रूफ टॉप पेविलियन✔ गाइड ट्रेनिंग सेंटर व जंगल रिसर्च सेंटर✔ सोलर लाइटिंग और कचरा मुक्त क्षेत्रइन सुविधाओं के कारण देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और लखीमपुर खीरी की पहचान अब वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से उभर रही है।---🔷 स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार का नया द्वारसरकार की नीति है कि “जंगल बचेगा, तभी इंसान बचेगा”। इसी सोच के तहत स्थानीय समुदाय को रोजगार से जोड़ा गया है—🏠 होम-स्टे और ट्राइबल टूरिज्म मॉडल🌿 वन उत्पाद आधारित आजीविका🚙 सफारी गाइड और नेचर गार्ड की नियुक्तियाँ🎨 हस्तशिल्प और स्थानीय फूड कोर्ट को बढ़ावाइस मॉडल से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो रही है।---🔷 सरकार का अगला लक्ष्य – विकास के साथ संवर्धनआने वाले वर्षों में सरकार इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देगी—आर्द्रभूमियों (Wetlands) का संरक्षणहाथी कॉरिडोर की सुरक्षाबायोडायवर्सिटी रिसर्चइको-टूरिज्म के नए सर्किट का विकास---🌿 दुधवा टाइगर रिज़र्व – उत्तर भारत के पर्यटन का भविष्यविशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में दुधवा और कतर्नियाघाट क्षेत्र भारत के शीर्ष वन्यजीव पर्यटन स्थलों में शामिल होंगे।वन्यजीवों की बढ़ती आबादी, प्राकृतिक सुंदरता और इको-फ्रेंडली सुविधाओं का अनूठा संगम लखीमपुर खीरी को देश का उभरता इको-टूरिज्म कैपिटल बना रहा है।---✨ संदेश> “प्रकृति को बचाने से ही भविष्य सुरक्षित होगा”और आज दुधवा इसका जीवंत उदाहरण बन चुका है।लखीमपुर खीरी से रिपोर्टर उमेश