
बागरा भैरवधाम में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव भव्य रूप से संपन्न
पांच दिवसीय आयोजन में उमड़ा जनसैलाब, हेलीकॉप्टर से हुई पुष्पवर्षा
आकोली (दलपतसिंह भायल) निकटवर्ती बागरा स्थित प्राचीन आस्था स्थल भैरवधाम में पांच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव बड़े ही धूमधाम और दिव्यता के साथ संपन्न हुआ। 1 दिसंबर से प्रारंभ हुए इस व्यापक धार्मिक आयोजन ने बागरा ही नहीं, बल्कि पूरे जालोर व आसपास के जिलों में उत्सव जैसा वातावरण बना दिया। समापन दिवस 5 दिसंबर को भैरवनाथ भगवान की नई मूर्ति की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा, अभिषेक, पूर्णाहुति और महाआरती के साथ आयोजन चरम पर रहा।
भक्तों का अभूतपूर्व सैलाब — नगर में रही उत्सव जैसी रौनक
पांच दिनों तक भैरवधाम परिसर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता रहा। अनुमान के अनुसार एक लाख से अधिक भक्तों ने इस दौरान दर्शन किए, अनुष्ठानों में भाग लिया और महाप्रसादी का लाभ उठाया। दूर-दराज़ के गांवों, शहरों तथा अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे। स्थानीय बाजारों, मुख्य मार्गों और डूडसी चौराहे से लेकर मंदिर द्वार तक का क्षेत्र भक्तिमय माहौल से गूंजता रहा।
विक्रमनाथजी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न हुए सभी वेद-विधान
भैरवधाम के गादीपति विक्रमनाथजी महाराज, ब्रह्मलीन पीर शांतिनाथजी महाराज के शिष्य हैं, के सानिध्य में सभी अनुष्ठान पूरे विधि-विधान से सम्पन्न हुए। विक्रमनाथजी महाराज लंबे समय से पाली जिले के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल सोनाणा खेतलाजी क्षेत्र में तपस्यारत रहे हैं, जहाँ पीर शांतिनाथ महाराज का पवित्र धूना स्थित है। भक्तों ने महाराज की उपस्थिति को इस आयोजन की सबसे बड़ी आध्यात्मिक ऊर्जा बताया।
जलयात्रा से शुरू हुआ आयोजन — सांस्कृतिक व धार्मिक झांकियों ने मोह लिया मन
1 दिसंबर को सुबह विशाल जल्यात्रा के साथ महोत्सव का आगाज हुआ। इस जलयात्रा में पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुनों, घोड़ा-बग्गियों, सजाए हुए रथों, महिला मंडलों और साधु-संतों की टोली ने भक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। रास्ते भर श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई और घर-घर से जल, नारियल और फूलों से स्वागत किया गया।
पांच दिन तक चले विविध अनुष्ठान
महोत्सव के दौरान अनेक विशिष्ट धार्मिक कर्मकांड संपन्न हुए, जिनमें शामिल रहे—
महारुद्र यज्ञ
ग्रहहोम व हवन
धान्याधिवास
देव स्नान कर्म
पिंडिकाधिवास
न्याय विधि
तोरण वंदना
मानक स्तंभ (ध्वज स्तंभ) स्थापना
प्रतिष्ठा कर्म व अभिषेक
अनुष्ठानों में देशभर से आए सैकड़ों ब्राह्मणों, आचार्यों, उपाध्यायों व साधु-संतों ने भाग लिया। मंत्रोच्चार और यज्ञ की हवाओं से पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण रहा।
5 दिसंबर—प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त रहा आकर्षण का केंद्र
5 दिसंबर को प्रातः 10:11 बजे शुभ मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। इस दौरान—
मुख्य कलश शिखर स्थापना
अमर ध्वजा स्थापना
अभिषेक
पूर्णाहुति
भव्य महाआरती
का आयोजन हुआ। जैसे ही मुख्य मूर्ति पर महाअभिषेक प्रारम्भ हुआ, पूरा परिसर "जय भैरवनाथ" के जयकारों से गूंज उठा।
हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा—भक्त हुए अभिभूत
समारोह के सबसे आकर्षक क्षणों में से एक रहा हेलीकॉप्टर से हुई पुष्पवर्षा। आकाश में उड़ते हेलीकॉप्टर से हजारों भक्तों पर गुलाब व गेंदे के फूल बरसाए गए, जिससे वातावरण का हर कोना सुगंधित व दिव्य बन गया। यह दृश्य देख श्रद्धालुओं ने कहा कि उन्होंने इतना भव्य आयोजन पहले कभी नहीं देखा।
भारी भीड़ को देखते हुए पुख्ता प्रबंध
आयोजन समिति ने भक्तों के लिए—
विशाल पांडाल
दर्शन व्यवस्था
बैठने की व्यवस्था
पेयजल
चिकित्सा सुविधा
सुरक्षा व्यवस्था
पार्किंग स्थल
प्रतिदिन महाप्रसाद वितरण
जैसी व्यवस्थाएँ की थीं। स्वयंसेवकों की बड़ी टीम लगातार सेवा में कार्यरत रही।
2023 में रखी गई थी भैरवधाम की नींव—अब भव्य स्वरूप में तैयार
भैरवधाम की नींव 22 फरवरी 2023 को रखी गई थी। दो वर्षों तक निरंतर चली निर्माण प्रक्रिया के बाद अब यह धाम विशाल, आकर्षक और वास्तुकला की दृष्टि से उत्कृष्ट रूप में तैयार हो चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भैरवधाम क्षेत्र की धार्मिक पहचान को एक नई ऊँचाई देगा।
भविष्य में होंगे अनेक कार्यक्रम
विक्रमनाथजी महाराज ने बताया कि आने वाले समय में भैरवधाम में—
मासिक भैरव अष्टमी कार्यक्रम
वार्षिक महोत्सव
धार्मिक शिक्षण वर्ग
सामाजिक सेवा शिविर
आयोजित किए जाएंगे, जिससे यह धाम क्षेत्र की आध्यात्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बनेगा।