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▁ ▂ ▄ ▅ ▆ ▇ █ “तुम कठिन हो — सत्य सरल है” █ ▇ ▆ ▅ ▄ ▂ ▁ दर्शन-पत्र : सत्य का सरल धर्म ✧ 🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

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सत्य सरल है” █ ▇ ▆ ▅ ▄ ▂ ▁


दर्शन-पत्र : सत्य का सरल धर्म ✧

🙏🌸 — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

1. सत्य का मार्ग सरल है।
कठिनाई संसार ने बनाई है, धर्म ने नहीं।

2. जिसने झूठ को सत्य मान लिया —
वही कठिनाई का बोझ ढोता है।
सत्य स्वयं कभी भारी नहीं होता।

3. धार्मिक समाज कहता है —
“ईश्वर का मार्ग कठिन है।”
यह वही झूठ है
जिस पर यह संसार टिका है।

4. सत्य उतना ही सहज है
जितना पौधों का उगना,
हवा का बहना,
पक्षियों का गाना।

5. प्रकृति में कोई कठोरता नहीं।
कठोरता केवल मनुष्य के मन की उपज है।

6. जीवन का संगीत हर क्षण बज रहा है;
पर सुनने के लिए
हमारे भीतर मौन चाहिए,
न कि नियमों की भीड़।

7. झूठ को संभालना कठिन है —
सत्य को नहीं।
कठिनाई वहीं है
जहाँ हम बनावटी हों।

8. जब मनुष्यता संस्कारों की जंजीरों में गिरती है,
तब सरलता भी काँटों जैसी लगने लगती है।

9. हम चलना चाहते हैं,
पर दुनिया की पीठ पकड़कर।
यहीं से यात्रा भारी हो जाती है।

10. जीवन पीछे नहीं धकेल रहा;
हम स्वयं पीछे चिपके हुए हैं।
वास्तविक यात्रा हमेशा सरल थी।

11. साधना का अर्थ कठिनाई नहीं,
स्वाभाविक होना है।
जो स्वभाविक है वही आध्यात्मिक है।

12. ईश्वर कठिन नहीं,
हमारी कल्पनाएँ कठिन हैं।
ईश्वर तो हवा की तरह है —
अदृश्य, सहज, स्पर्शहीन और निकट।

13. धार्मिक लोग कहते हैं —
धर्म कठिन है, सत्य कठिन है, ईमानदारी कठिन है।
पर यह झूठ है।
कठिन वे धार्मिक हैं — सत्य नहीं।

14. सत्य नर्म है, सहज है, निर्मल है,
नाज़ुक है, सूक्ष्म है।
पर तुम सत्य में चल नहीं सकते —
इसलिए तुम सत्य की पूजा करते हो,
जय-जयकार करते हो, दूरी बनाते हो।

15. कठिनाई सत्य में नहीं,
कठिनाई तुम्हारे अहंकार में है
जो सरलता सहन नहीं कर पाता।

16. धार्मिक तुम्हें तप, त्याग और ताप का डर दिखाते हैं;
इसलिए वे जप-तप को अनिवार्य बनाते हैं।
लेकिन जप और तप तुमको कठोर बनाते हैं,
जीवन को बोझिल बनाते हैं।

17. जीवन का सार सरल रहना है,
बनावट को छोड़ देना है।
सरलता ही आध्यात्मिकता है।

18. जब कोई पूछे —
“तुम इतने सरल और प्रेमपूर्ण क्यों हो?”
तो कहना —
“हमने यही वेद, गीता, उपनिषद और प्रकृति से सीखा है।
हम प्रकृति के साथ जीते हैं —
और प्रकृति ही ईश्वर है।”

19. पौधे, हवा, पानी, धूप —
ये सब ईश्वर के रूप हैं।
सत्य इन्हीं रूपों में खुलता है।

20. राम, कृष्ण, शिव —
ये सब इसलिए दिव्य बने
क्योंकि वे स्वभाव से जिए,
जंगलों में सरलता से जिए,
प्रकृति की तरह जिए।

21. बुद्ध और महावीर कठोर तप से नहीं,
सरलता से मुक्त हुए।
कटोरा उनकी सरलता था।
नग्नता प्रकृति की समानता थी।
मुक्ति सरल होकर आती है,
कठोर होकर नहीं।

22. तप, तपस्या, त्याग —
इनका सार कठिनाई नहीं,
बच्चे जैसा स्वाभाविक होना है।

23. धार्मिक कहते हैं —
भक्ति कठिन है, योग कठिन है, ईश्वर कठिन है।
पर कठिन कुछ भी नहीं।
कठिन तुम हो।
कठिन तुम्हारी बकवास है।

24. तुमने कठिन बना-बना कर
सत्य और जीवन के बीच दीवार खड़ी कर दी है।
तुमने धर्म को साधना नहीं,
नियंत्रण बना दिया है।
यही अधर्म है।

25. ईश्वर कभी कठिन नहीं था।
धार्मिकों के कठोर मन ने
ईश्वर को असंभव बना दिया है।

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✧ अंतिम स्वर ✧

यह पूरा दर्शन एक ही बात कहता है—

सत्य सरल है।
धर्म सरल है।
ईश्वर सरल है।
कठिनाई केवल मनुष्य ने गढ़ी है।

𝕍𝕖𝕕ā𝕟𝕥𝕒 𝔻ṛ𝕚ṣṭ𝕚 — 𝕊𝕖𝕖𝕚𝕟𝕘 ℝ𝕖𝕒𝕝𝕚𝕥𝕪 𝕒𝕤 𝕀𝕥 𝕀𝕤 (वेदान्त दृष्टि — वास्तविकता को जैसा है वैसा देखना) 𝕍𝕖𝕕ā𝕟𝕥𝕒 𝟚.𝟘 © *𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲*

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