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सरसींवा से सरकारी कॉलेज गायब करने का खेल ? छात्रों की सुरक्षा और भविष्य दांव पर

सरसींवा (छत्तीसगढ़)। नगर पंचायत सरसींवा में सरकारी महाविद्यालय को मूल स्थान से हटाकर 8–10 किलोमीटर दूर सुनसान और जंगल क्षेत्र में ले जाने की गुप्त तैयारी का मामला सामने आते ही क्षेत्रवासियों में भारी आक्रोश फैल गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह निर्णय शिक्षा के अधिकार पर सीधा प्रहार है और इसके पीछे कुछ निजी कॉलेज संचालकों का दबाव तथा राजनीतिक संरक्षण काम कर रहा है।

2020-21 में अधिसूचना सरसींवा के नाम — फिर अचानक बदलाव क्यों?

क्षेत्रवासियों के अनुसार वर्ष 2020-21 में सरसींवा में ही सरकारी महाविद्यालय खोलने के लिए बजट और अधिसूचना दोनों जारी हो चुकी थीं। सभी प्रक्रियाएँ सरसींवा नगर के लिए ही प्रस्तावित थीं।
लेकिन अब जानकारी मिल रही है कि कुछ प्रभावशाली निजी कॉलेज संचालकों की सांठगांठ और राजनीतिक दबाव के कारण कॉलेज को सरसींवा से हटाकर दूरस्थ स्थान पर शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है।

चयनित स्थान पर न सड़कें, न परिवहन, न सुरक्षा

आरोप है कि जिस जगह कॉलेज को ले जाने की बात हो रही है वहाँ—

पक्का मार्ग नहीं

बस/परिवहन सुविधा नहीं

मोबाइल नेटवर्क और सुरक्षा व्यवस्था भी शून्य

आसपास घना जंगल और निर्जन इलाका

लोग पूछ रहे हैं—"क्या ऐसी जगह पर कॉलेज खोलने का कोई तर्क है? या यह किसी खास प्राइवेट कॉलेज को बचाने की रणनीति है?"

छात्रों के भविष्य और सुरक्षा पर बड़ा खतरा

स्थानीय नागरिकों के अनुसार इस बदलाव के गंभीर प्रभाव होंगे—

1. छात्र-छात्राओं को रोज 8–10 किमी जंगल की ओर जाना पड़ेगा

2. लड़कियों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा

3. गरीब परिवारों के बच्चों के लिए पढ़ाई लगभग असंभव

4. सरकारी कॉलेज को प्राइवेट संस्थानों के हित में कमजोर करने की साजिश


“शिक्षा किसी की जागीर नहीं” — आंदोलन का बिगुल

स्थानीय जनता ने निर्णय लिया है कि यदि कॉलेज को सरसींवा से हटाने की कोशिश बंद नहीं हुई, तो व्यापक आंदोलन शुरू किया जाएगा।
लोगों की स्पष्ट मांग है—

सरकारी महाविद्यालय वहीं खुले जहाँ अधिसूचना जारी हुई थी—
सरसींवा नगर में, मुख्य मार्ग पर, सभी आधारभूत सुविधाओं के साथ।
जंगल और सुनसान क्षेत्र में कॉलेज ले जाना विकास नहीं, बल्कि राजनीति और प्राइवेट कॉलेजों का खेल है।”

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