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चयनित होने के 6 माह बाद भी नहीं मिली नियुक्ति, बस्तड़ी गांव की रेशमा लगा रही दफ्तरों के चक्कर

एक ओर प्रदेश में नई नियुक्तियों के प्रमाण पत्र मंत्री स्वयं अपने हाथों से सौंपते दिखाई देते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ चयनित अभ्यर्थी महीनों से अपने नियुक्ति पत्र के इंतज़ार में दफ्तरों के चक्कर काटते दिखाई दे रहे हैं।
इसी कड़ी में ब्लॉक कनालीछीना के बस्तड़ी गांव की रेशमा का मामला सुर्खियों में है।

रेशमा को लगभग 6 माह पूर्व चयन की जानकारी मिल चुकी थी। विभागीय अधिकारियों ने बताया था कि “नियुक्ति हो चुकी है, जल्द ही जॉइनिंग लेटर दिया जाएगा।” लेकिन छह महीने बीत चुके हैं, और आश्वासन के अलावा रेशमा को कुछ भी नहीं मिला।

सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि रेशमा अपने 6 माह के शिशु को गोद में लेकर दो बार जिलाधिकारी के जनता दरबार तक पहुंच चुकी है।
हर बार सिर्फ आश्वासन मिला — “जल्द कार्यवाही होगी” — लेकिन फाइलें अब भी धूल खा रही हैं। रेशमा बताती हैं कि जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए थे, पर अधिकारी उन आदेशों को भी अनदेखा कर रहे हैं।

प्रदेश में जहां एक तरफ तेज़ी से नियुक्ति पत्र वितरण की तस्वीरें साझा की जाती हैं, वहीं दूसरी तरफ चयनित अभ्यर्थियों का यूँ महीनों तक भटकते रहना गंभीर प्रश्न खड़े करता है—
आख़िर आम आदमी की आवाज़ कौन सुनेगा?
किसके दरवाज़े पर दस्तक दे कि न्याय मिल सके?

रेशमा जैसे अनेक अभ्यर्थियों की यह पीड़ा प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही पर सीधे सवाल खड़े कर रही है, और यह मामला अब गाँव से लेकर ज़िला मुख्यालय तक चर्चा का विषय बन चुका है।

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