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सर्वे ऑफ इंडिया का मुख्यालय दिल्ली शिफ्ट होने की चर्चाएँ तेज, 900 से अधिक कर्मचारियों का भविष्य अनिश्चित

देहरादून | देश के सबसे पुराने वैज्ञानिक संस्थान सर्वे ऑफ इंडिया (Survey of India) को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। चर्चा है कि इसका मुख्यालय देहरादून से नई दिल्ली शिफ्ट किया जा सकता है। राजधानी देहरादून में पिछले कुछ दिनों से इस मुद्दे पर तेज हलचल दिखाई दे रही है। अगर प्रस्ताव पर मुहर लगती है, तो 700 से अधिक स्थायी कर्मचारियों और लगभग 250 संविदा कर्मियों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।

नई दिल्ली के पुष्पा भवन में शिफ्ट की तैयारी?
सूत्रों के अनुसार, सर्वे ऑफ इंडिया के लीगल सेल को नई दिल्ली के पुष्पा भवन में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। यही वजह है कि मुख्यालय के पूर्ण रूप से दिल्ली ले जाए जाने की अटकलें और तेज हो गई हैं। देहरादून स्थित यह ऐतिहासिक संस्थान 258 साल से यहाँ कार्यरत है। मुख्यालय के स्थानांतरण की स्थिति में न केवल कर्मचारियों पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि देहरादून की वैज्ञानिक और संस्थागत पहचान पर भी बड़ा असर दिखाई देगा।

भारत का सबसे पुराना वैज्ञानिक संस्थान :
सर्वे ऑफ इंडिया की स्थापना 1767 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय क्षेत्रों के सर्वेक्षण और समेकन के उद्देश्य से की थी। तब से यह वैज्ञानिक अध्ययन, रणनीतिक परियोजनाओं और आधारभूत मानचित्रण के लिए देश का केंद्रीय संस्थान रहा है। इसके मुख्यालय की देहरादून में उपस्थिति ने शहर को वर्षों से एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक हब के रूप में स्थापित किया है।

मानचित्रण और सर्वेक्षण का प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान :
1950 में यह विभाग लगभग पांच निदेशालयों के रूप में संगठित था, जिनका उद्देश्य देश के विकास से जुड़े मानचित्रण कार्यों को पूरा करना था। समय के साथ इसकी भूमिकाएँ बढ़ीं और आज यह राष्ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्रण का सर्वोच्च संस्थान माना जाता है। मुख्यालय शिफ्ट होने की संभावनाओं के बीच यह प्रश्न गंभीर रूप से उठ रहा है कि देहरादून की पहचान बन चुके इस महत्वपूर्ण संस्थान का भविष्य क्या होगा।

कर्मचारियों में बढ़ी चिंता :
मुख्यालय बदलने की चर्चाओं ने कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना बढ़ा दी है। शहर के रोजगार, स्थानीय अर्थव्यवस्था और संस्थागत विरासत पर भी इसके व्यापक प्रभाव की आशंका जताई जा रही है। अब सबकी निगाहें केंद्र सरकार की ओर टिकी हैं कि क्या यह ऐतिहासिक संस्थान अपनी मूल भूमि देहरादून में ही रहेगा या आधिकारिक तौर पर राजधानी दिल्ली स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

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